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जम्मू में आतंकियों का जंगल प्लान होगा चकनाचूर, पुलिस ने जवानों को दी गई स्पेशल ट्रेनिंग

जम्मू के पुलिस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर में 21 दिन का विशेष प्रशिक्षण सत्र, पुलिस जवानों को सेना के विशेषज्ञों की ओर से जंगल वारफेयर और कमांडो टैक्टिक्स सिखाए जा रहे हैं

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Mohit Saxena
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Anantnag: Army personnel take their positions at the site of an encounter

army in jammu kashmir( social media)

जम्मू-कश्मीर में बदलते आतंकी हमलों के पैटर्न का मुकाबला करने के लिए पुलिस ने अब उन्हीं के अंदाज में जवाब देने की तैयारी कर ली है. आतंकियों के नए जंगल प्लान को चकनाचूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस  ने अपने जवानों को जंगल वारफेयर की विशेष ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है. जम्मू के पुलिस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर में 21 दिन का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें पुलिस जवानों को सेना के विशेषज्ञों द्वारा जंगल वारफेयर और कमांडो टैक्टिक्स सिखाए जा रहे हैं. इस ट्रेनिंग का उद्देश्य जवानों को जंगलों में आतंकियों का मुकाबला करने के लिए तैयार करना है, ताकि नए एंटी टेरर ऑपरेशन्स में उन्हें मदद मिल सके.

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विदेशी आतंकियों की गतिविधियां देखी गई

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस इस ट्रेनिंग के जरिए अपने जवानों को जम्मू के विभिन्न इलाकों में उभर रही   नई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सशक्त कर रही है. भारतीय सेना पहले से ही अपने जवानों को विभिन्न ट्रेनिंग स्कूलों में जंगल वारफेयर की ट्रेनिंग देती आ रही है, और पुलिस के एसओजी जवान भी ऐसी ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके हैं. लेकिन अब जम्मू-कश्मीर पुलिस उन पुलिसकर्मियों को भी इस तरह की ट्रेनिंग देना चाहती है, जो  उन क्षेत्रों में तैनात हैं जहाँ पिछले कुछ महीनों में विदेशी आतंकियों की गतिविधियां देखी गई हैं.

काउंटर टेरर यूनिट बनाई गई

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विदेशी आतंकियों की मौजूदगी की सूचना के बाद पुलिस ने अपने जवानों की पुनर्वितरण (redeployment) की है और कई नई जगहों पर पुलिस पिकेट्स भी स्थापित की गई हैं. खास तौर पर जम्मू के 8 जिलों में 19 विशेष काउंटर टेरर यूनिट बनाई गई हैं, जिन्हें डीएसपी स्तर के अधिकारी लीड कर रहे हैं. इन विशेष टीमों को उन जगहों पर तैनात किया गया है जहाँ हाल ही में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं.

इसके अलावा, ग्राम रक्षा दल (VDGs) की टीम को भी सशक्त करने की प्रक्रिया चल रही है. उन्हें नए ऑटोमैटिक हथियारों से लैस करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर वे आतंकियों के साथ सीधे मुकाबला कर सकें और सुरक्षा में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें.

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