भगवान भोलेनाथ का प्रिय सावन महीना शुरू हो गया है. सावन शुरू होते ही शिवभक्तों की कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है. देशभर से लोग कांवड़ लेने आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में इन दिनों कांवड़ियों का हुजूम लगा हुआ है. दिल्ली सरकार ने कांवड़ियों के लिए सभी प्रकार की तैयारियां कर लीं हैं. देश के सबसे बड़े कांवड़ शिविरों में से एक शिविर कश्मीरी गेट पर भी बनाया गया है. खास बात है कि इस शिविर में एक साथ 20 हजार शिव भक्त ठहर सकते हैं.
दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशि ने आज कश्मीरी गेट स्थित कावंड़ शिविर पहुंचीं. उन्होंने शिविर का निरीक्षण किया. उन्होंने शिव भक्तों के लिए की गईं सभी तैयारियों का जायजा लिया. दिल्ली सरकार के अधिकारियों की मानें तो पूरी दिल्ली में 185 ऐसे शिविर लगाए जा रहे हैं, जिसमें शिव भक्तों को कोई समस्या नहीं आए. शिविर पूरी तरह से वाटर प्रूफ हैं. शिविर में शिव भक्तों को साफ पानी, टॉयलेट और मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.
कांवड़ यात्रा के पीछे का तर्क
कांवड़ यात्रा के पीछे मान्यता है कि इससे भगवान भोले नाथ प्रसन्न होते हैं. पहली कांवड़ किसने की, इस बारे में कई कहानियां प्रसिद्ध हैं. एक मान्यता के अनुसार, पहली कांवड़ यात्रा रावण ने की थी. रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. उसने शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया था. कुछ मान्यताओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम ने भी कांवड़िए की तरह गंगाजल अर्पित किया था.
कई तरह से निकाली जाती है कांवड़ यात्रा
- सामान्य कांवड़
- डाक कांवड़
- झांकी कांवड़
- दंडवत कांवड़ यात्रा
- खड़ी कांवड़ यात्रा
कांवड़ियों का उत्साह चरम पर
कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों का उत्साह अपने चरम पर होता है. पूरा कांवड़ मार्ग बम-बम भोले और हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजता है. अब तो कांवड़ यात्रा में युवाओं के साथ-साथ महिलाएं और बुजुर्ग भी हिस्सा लेते हैं. सभी भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहते हैं.