Karnataka Politics: भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कर्नाटक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि जमीन घोटालों में उनकी संलिप्तता स्पष्ट हो चुकी है. उन्होंने विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार पर निशाना साधा है. बता दें कि शहजाद पूनावाला ने कहा कि कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डेवेलपमेंट बोर्ड (KIADB) द्वारा खरगे परिवार को अवैध रूप से दी गई पांच एकड़ जमीन वापस करने की पेशकश, उनके भ्रष्टाचार को स्वीकारने जैसा है.
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पूनावाला का बयान और आरोप
आपको बता दें कि शहजाद पूनावाला ने दावा किया कि इससे पहले भी कर्नाटक में कई घोटाले सामने आए हैं, जिनमें एमयूडीए (मैसूर अर्बन डेवेलपमेंट अथॉरिटी) घोटाला प्रमुख है. उन्होंने कहा, ''एमयूडीए घोटाला सिद्धारमैया के समय का है, जिसमें उन्होंने आरोपों को खारिज कर दिया था. लेकिन उसके बाद उनकी पत्नी ने उन विवादित जमीनों को वापस किया, जिससे उनकी संलिप्तता पर सवाल उठे.''
वहीं आगे उन्होंने कहा कि अब खरगे परिवार द्वारा कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) से मिली पांच एकड़ जमीन को वापस करने की पेशकश उनके भ्रष्टाचार को सीधे तौर पर स्वीकार करने का प्रतीक है. शहजाद पूनावाला ने इसे कांग्रेस की ''परिवारवाद और भ्रष्टाचार'' की राजनीति का हिस्सा बताया है.
सिद्धारमैया और खरगे परिवार पर निशाना
साथ ही आपको बता दें कि शहजाद पूनावाला ने इस मुद्दे को चुनावी राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस का ये ''अवैध भूमि कब्जा'' उनकी सत्ता में बने रहने की नीति का हिस्सा रहा है. उन्होंने कहा, ''सिद्धारमैया और खरगे जैसे बड़े नेता इन घोटालों में शामिल हैं और अब जब जमीन वापस की जा रही है, तो यह साफ है कि उन्होंने कानून का उल्लंघन किया है.''
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. पार्टी के प्रवक्ताओं ने इसे भाजपा की ''सस्ती राजनीति'' करार देते हुए कहा कि ये आरोप केवल जनता का ध्यान भटकाने के लिए लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि जमीन वापस करने की पेशकश का उद्देश्य किसी प्रकार के आरोपों को स्वीकारना नहीं, बल्कि कानूनी विवादों से बचना है.
राजनीतिक माहौल गरम
इसके अलावा आपको बता दें कि कर्नाटक में आगामी चुनाव से पहले इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है. साथ ही, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे राज्य की राजनीति में बवाल मच गया है. अब देखना होगा कि जमीन घोटाले का यह मुद्दा चुनाव नतीजों पर कितना असर डालता है.