Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में बारिश और भूस्खलन के चलते तबाही मची हुई है. अबतक 116 लोगों की मौत हो चुकी है. 150 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. 400 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं. बारिश के साथ पहाड़ी का बड़ा हिस्सा खिसका, जिसकी चपेट में 4 गांव आ गए. मलबे के साथ कई घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां भी बह गईं. जिस जगह तबाही हुई वहां हर तरफ कीचड़ ही कीचड़ है. कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपेशन जारी है.
यह पहली बार नहीं है जब केरल में इस तरह की आकृतिक आपदा आई हो, 2018 और 2019 में भी ऐसा ही कहर देखने को मिल चुका है. तब भी भारी संख्या में लोग मारे गए थे. सवाल उठता है कि वहां क्यों बार-बार आती है ऐसी तबाही?
Please pray for my hometown. Waterlogging in many areas of #Wayanad due to heavy rainfall. Over 50 have died in landslides. Rescue ops are ongoing under tough conditions. Two villages are isolated due to a bridge collapse. 🙏😭 #Keralarain pic.twitter.com/oXvquEAL4a
— Shafid (@iamshafid) July 30, 2024
लैंडस्लाइड की चपेट में ये चार गांव
वायनाड के चार गांव - मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा लैंडस्लाइड से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. इन इलाकों में भूस्लखन के बाद किचड़, टूटकर आए बड़े-बड़े पेड़ों के ढेर, बड़े-बड़े पत्थर फैले हुए हर तरफ दिखाई दे रहे हैं. कई जगहों पर तो ऐसा मंजर है कि सड़कों, गलियां और घर का नामोनिशान तक मिट गया.
Please pray for Kerala. A landslide has devastated Wayanad. Many hundreds feared dead. Scary visuals (1/n) pic.twitter.com/dOfYpxFsXh
— Dr Jaison Philip. M.S., MCh (@Jasonphilip8) July 30, 2024
ऊपर से जलजमाव कई दिक्कतों को बढ़ाए हुए है. किचड़ की वजह से सतह फिसलन भरी हो गई है. मूसलाधार बारिश और लैंडस्लाइड से सबसे ज्यादा तबाही कलपट्टा मुंडाकाई में हुई है. निचले इलाकों में सैलाब बह रहा है. ज्यादातर सड़कें बंद हो चुकी हैं जिससे प्रभावित इलाकों में आफत बढ़ गई है. इस वजह से एनडीआरएम की टीमों को रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
केरल में कब-कब लैंडस्लाइड
- 2019 में केरल के आठ जिलों में सिर्फ तीन दिन में 80 भूस्खलन की घटनाएं हुईं. इसमें 120 लोग मारे गए थे.
- 2018 में केरल के दस जिलों 341 बड़े भूस्खलन हुए. अकेले इडुकी में 143 भूस्खलन. 104 लोगों की मौत हो गई थी.
- कई मौकों पर भी केरल के वायनाड इलाके में लैंडस्लाइड की भयानक घटनाएं देखने को मिली चुकी हैं.
ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों?
- वायनाड वेस्टर्न घाट का इलाका है, जो पठारों के ढलानों पर बसा हुआ है. इलाके में बेहद खड़ी ढलानें और घाटियां भी हैं. यही वजह है कि इलाके में लैंडस्लाइड की संभावना अधिक रहती है.
- वायनाड की चट्टानें चार्नोकाइट ग्रुप की हैं. मौसम में परिवर्तन के चलते ये चट्टानें भुरभुरी हुई हैं और इस तरह से बनी मिट्टी को लैटेराइट कहते हैं. यह मिट्टी कमजोर और कटने वाली होती.
- लैटेराइट मिट्टी में क्ले की मात्रा अधिक है. जब पानी पड़ता है, क्ले फैलता है और जब गर्मी पड़ती है तब क्ले सिकुड़ता है, इसलिए भूस्खलन का खतरा बढ़ा रहता है.
- वायनाड में अधिक मात्रा में लैटेराइट मिट्टी है, जो जरा सी बारिश में कटने लगती है और फिसलने लगती है. वहां अधिक भूस्खलन होने की एक बड़ी वजह यह भी है.
- डेवलपमेंटल प्लानिंग या सड़क चौड़ीकरण के नाम पर केरल में जंगलों की कटाई की जा रही है. बिना सूझ-बूझ के चट्टानों के ढलानों को काटा जा रहा है.
- अत्यधिक मात्रा में पेड़ों की कटाई होने से मिट्टी कमजोर होती है और भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ती हैं, क्योंकि पेड़ों की जड़ें बारिश के समय में भी मिट्टी को कसकर पकड़े रहती हैं.
- जंगल में कमी आने से जलवायु में भी परिवर्तन आया है. इससे बारिश का पैटर्न बदला है. इलाके में कभी तो अत्यधिक बारिश तो कभी कम बारिश देखने को मिलती है.
- अगर बीते 24 घंटे में वायनाड के अलग-अलग इलाकों में हुई बारिश की बात करें तो व्यतीरी में 280 मिलिमीटर, मननटोड्डी में 200 मिलिमीटर और करापुझा में 140 मिलिमीटर में बारिश हुई है. ऐसे में वायनाड में हुई अत्यधिक मूसलाधार बारिश भी भयंकर भूस्खलन होने का कारण है.
- वायनाड में बहने वाली अधिकतर नदियां मॉनसून आधारित हैं. जब ये नदियां ऊंचाई वाली जगह से ढलान की ओर बहती हैं तो उनकी बहाव क्षमता काफी अधिक होती है. ऐसे में भूस्खलन की संभवनाएं बढ़ जाती हैं.
- वायनाड को लेकर 2019 में दीपा शिवदास की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें उन्होंने इलाके को लैंडस्लाइड के लिए सबसे अधिक संवेदनशील बताया था.
ये भी पढ़ें: Wayanad Landslide: कुदरत के कहर से लोग कैसे बेहाल, चीख-चीख कर बता रहीं ये 15 तस्वीरें!