साल 1995 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 121 सीटों पर जीत मिली. इस सफलता के बाद, पार्टी ने लालकृष्ण आडवाणी की सलाह पर केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाया. हालांकि, पार्टी में शंकर सिंह वाघेला जैसे प्रतिद्वंद्वियों के लिए यह निर्णय अस्वीकार्य था.
बगावत का आगाज़
कुछ महीनों बाद, जब केशुभाई पटेल अमेरिका दौरे पर थे, वाघेला ने 55 विधायकों के साथ बगावत कर दी. पार्टी को इस संकट का सामना करने के लिए प्रमोद महाजन को भेजा गया, जो अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी के करीबी सहयोगी थे.
वाघेला की शर्तें
शंकर सिंह वाघेला ने बीजेपी के सामने दो प्रमुख मांगें रखीं: पहली, केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाना, और दूसरी, नरेंद्र मोदी को गुजरात की राजनीति से दूर रखना. बीजेपी ने वाघेला की दोनों मांगें स्वीकार कर लीं. इस तरह सुरेश मेहता को नया मुख्यमंत्री बनाया गया.
प्रमोद महाजन का चतुराई भरा नेतृत्व
पूर्व सांसद प्रफुल्ल गोराडिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि 1995-96 में प्रमोद महाजन ने शंकर सिंह वाघेला और नरेंद्र मोदी के बीच टकराव को सफलतापूर्वक टालने में बड़ी चतुराई दिखाई. इसके परिणामस्वरूप, अटल बिहारी वाजपेयी ने महाजन को लक्ष्मण की उपाधि दी.
जीवन की शुरुआत और शिक्षा
प्रमोद महाजन का जन्म 30 अक्टूबर 1949 को तेलंगाना के महबूबनगर में हुआ. ब्राह्मण दंपति वेंकटेश देवीदास और प्रभावती वेंकटेश के घर जन्मे प्रमोद ने अपनी शिक्षा योगेश्वरी यूनिवर्सिटी से प्राप्त की. यहीं पर उनकी मुलाकात रेखा से हुई, जिनसे उन्होंने 1972 में शादी की.
पत्रकारिता से राजनीति की ओर
प्रमोद महाजन को नाटक और कला का काफी शौक था. पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद, उन्होंने 'तरुण भारत' नामक मराठी अखबार में उप-संपादक के रूप में कार्य किया. हालांकि, जल्दी ही उन्हें यह क्षेत्र छोड़कर पुणे के खोलेश्वर कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर बनने का निर्णय लिया.
भाई प्रवीण महाजन ने हत्या कर दी
साल 2006 में, भाजपा के युवा नेता और पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रमोद महाजन की उनके ही भाई प्रवीण महाजन ने हत्या कर दी. प्रमोद महाजन की हत्या उनके भाई प्रवीण महाजन द्वारा की गई थी, जिन्होंने 22 अप्रैल 2006 को मुंबई के वर्ली में प्रमोद के फ्लैट में उन पर तीन गोलियां चलाईं.
13 दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई
प्रमोद महाजन की 13 दिन बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई और प्रवीण महाजन को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई. बाद में प्रवीण महाजन की भी 2010 में पैरोल पर रहते हुए मृत्यु हो गई.भाजपा नेता प्रमोद महाजन की हत्या उनके भाई प्रवीण महाजन द्वारा की गई थी, जिसे बाद में आजीवन कारावास की सजा हुई. प्रमोद महाजन की मृत्यु 3 मई 2006 को हुई थी.
प्रवीण महाजन को पुलिस ने गिरफ्तार किया
पुलिस ने प्रवीण महाजन को गिरफ्तार करते हुए उस पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाया. इसके बाद, जांच शुरू हुई. इस बीच, हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सक प्रमोद को स्थिर करने की कोशिश में लगे थे. गोली पॉइंट ब्लैंक दूरी से चलाई गई, जिसमें प्रवीण खड़ा था और प्रमोद बैठे थे. इस वजह से गोलियां बाहर नहीं निकलीं, बल्कि शरीर में धंस गईं, जिससे प्रमोद के आंतों और जिगर को गंभीर चोटें आईं.
इस वजह से भाई ने भाई को मौत के घाट उतारा
पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि 22 तारीख की सुबह प्रवीण महाजन साढ़े पांच बजे अपने घर से निकला. उसका निवास ठाणे में था, जो प्रमोद महाजन द्वारा खरीदी गई संपत्ति थी. जब प्रवीण की पत्नी ने पूछा कि इतनी सुबह कहां जा रहे हो, तो उसने जवाब दिया कि दादा के पास जा रहा है. जबकि प्रमोद का घर उससे एक घंटे की दूरी पर था, प्रवीण को वहां पहुंचने में पूरे दो घंटे लग गए. पूछताछ में उसने बताया कि वह दो जगह चाय पीने रुका और एक बार मंदिर भी गया. फिर भी, जब वह प्रमोद के घर जल्दी पहुंचा, तो उसने उनके उठने का इंतजार करने के लिए फ्लैट के नीचे रुकने का फैसला किया.
पत्नी ने अदालत में दिया बयान
अदालत में जब प्रवीण के इरादे पर सवाल उठा, तो प्रमोद की पत्नी रेखा महाजन ने बताया कि प्रवीण पैसे मांग रहा था, और जब प्रमोद ने इंकार किया, तो इसी गुस्से में उसने गोली चला दी. प्रवीण ने अपने प्रारंभिक बयान में कहा कि उसने गुस्से में यह कदम उठाया. उसके अनुसार, वह बार-बार प्रमोद से मिलने का समय मांग रहा था, और जब प्रमोद ने उसे दोबारा अपॉइंटमेंट लेने की बात कही, तो उसने गुस्से में गोली चला दी.