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POCSO केस में जरूरी है मेडिकल रिपोर्ट, शरीर के इस अंग की जांच से तय होती है उम्र; जानें...

POCSO मामलों में उम्र निर्धारण महत्वपूर्ण होता है. दांतों और हड्डियों की जांच से उम्र का अनुमान लगाया जाता है, जो न्यायिक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। ये रिपोर्ट्स कानूनी फैसले में सहायक होती हैं.

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Ritu Sharma
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POCSO Acts

बाल यौन शोषण संरक्षण कानून

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POCSO News: बाल यौन शोषण संरक्षण कानून (POCSO) के तहत मामलों में एक महत्वपूर्ण प्रश्न अक्सर उभरता है कि पीड़ित या आरोपी की उम्र क्या है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि POCSO अधिनियम बालकों (18 वर्ष से कम आयु के) के यौन शोषण के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान करता है. इस संदर्भ में मेडिकल रिपोर्ट्स, विशेषकर दांतों और हड्डियों की जांच, उम्र निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाती हैं.

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दांतों और हड्डियों से उम्र का निर्धारण

आपको बता दें कि उम्र का निर्धारण करने के लिए चिकित्सक मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण चीजों का उपयोग करते हैं. जैसे - दांतों की विकास स्थिति और हड्डियों की परिपक्वता। दांतों की जांच के दौरान डॉक्टर यह देखते हैं कि कितने स्थायी दांत आ चुके हैं और उनकी विकास स्थिति क्या है. आमतौर पर बच्चों और किशोरों में दांतों का विकास एक निश्चित उम्र में होता है, जिससे डॉक्टर अनुमानित उम्र का पता लगा सकते हैं. जैसे कि 18 साल की उम्र तक सभी स्थायी दांत निकल चुके होते हैं और इससे कम उम्र में दांतों की स्थिति से इसका अनुमान लगाया जा सकता है.

इसके अलावा हड्डियों की जांच में चिकित्सक बोन एज असेसमेंट (हड्डी की उम्र का मूल्यांकन) करते हैं. इसमें आमतौर पर एक्स-रे का उपयोग किया जाता है, खासकर कलाई की हड्डियों का. हड्डियों की परिपक्वता से यह पता चलता है कि व्यक्ति की उम्र कितनी हो सकती है, क्योंकि हड्डियों का विकास भी एक निश्चित उम्र तक होता है. बता दें कि बच्चों और किशोरों में हड्डियों के विकास के अलग-अलग चरण होते हैं, जिनका अध्ययन करके यह अनुमान लगाया जाता है कि व्यक्ति की उम्र कितनी हो सकती है.

मेडिकल रिपोर्ट का कानूनी महत्व

आपको बता दें कि POCSO मामलों में उम्र निर्धारण बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा दी जाती है. अगर आरोपी या पीड़ित की उम्र सही तरीके से स्थापित नहीं होती है, तो मामला कमजोर हो सकता है. यही वजह है कि दांतों और हड्डियों की जांच पर आधारित मेडिकल रिपोर्ट्स को अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार किया जाता है. इसके अलावा बता दें कि मेडिकल विशेषज्ञ आमतौर पर इस जांच को पूरी निष्पक्षता और वैज्ञानिक आधार पर करते हैं. हालांकि, कभी-कभी इस जांच में अनुमान का भी स्थान होता है, क्योंकि हड्डियों और दांतों का विकास भिन्न-भिन्न लोगों में थोड़ा भिन्न हो सकता है.

उम्र निर्धारण की प्रक्रिया

इसके साथ ही आपको बता दें कि उम्र का निर्धारण करने के लिए ग्रेउलिक एटलस (Greulich-Pyle Method) और टैनर-व्हाइटहाउस मेथड जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है. ग्रेउलिक एटलस हड्डियों के विकास के चरणों को दिखाने वाला एक एटलस है, जो हड्डियों की परिपक्वता का अध्ययन करता है. वहीं टैनर-व्हाइटहाउस मेथड व्यक्ति की हड्डियों की संरचना का गहन विश्लेषण करता है. इसके अलावा, डेंटल ऐज एस्सेसमेंट (दांतों की उम्र का मूल्यांकन) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें डॉक्टर दांतों की संरचना, उनके आने और गिरने के चरणों का विश्लेषण करते हैं.

मेडिकल रिपोर्ट्स की सीमाएं

हालांकि मेडिकल रिपोर्ट्स काफी सटीक मानी जाती हैं पर उनमें सीमाएं भी होती हैं. जैसे कि हड्डियों और दांतों के विकास में जीन, पोषण और पर्यावरणीय कारक भूमिका निभाते हैं, जिससे विभिन्न व्यक्तियों में एक ही उम्र में अलग-अलग विकास हो सकता है. इसके बावजूद, भारतीय अदालतें अक्सर इसे विश्वसनीय मानकर फैसला करती हैं.

बहरहाल, POCSO मामलों में उम्र का सटीक निर्धारण एक जटिल है लेकिन बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. चिकित्सा जांच, विशेष रूप से दंत और हड्डी की जांच, उम्र का सटीक अनुमान लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ये रिपोर्ट न केवल न्यायिक प्रक्रिया में मदद करती है, बल्कि आरोपी और पीड़ित दोनों के हितों की रक्षा भी करती है.

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