Monkeypox Infection: कोरोना महामारी के बाद अब एक ऐसा खतरनाक वायरस सामने आया है कि लोग अभी से दहशत में आ गए हैं. भारत में मंकीपॉक्स का मामला सामने आने के बाद हर कोई सकते में है. डॉक्टर, एक्सपर्ट से लेकर आम लोगों में यह घातक बीमारी डर पैदा कर रही है. हालांकि अभी तक इस वायरस को लेकर डॉक्टरों की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है. दरअसल, हाल ही में एक एक युवा एमपॉक्स (मंकीपॉक्स) संक्रमित होने का मामला सामने आया है. इस मरीज को एक अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है. यहां पर किसी को जाने की एंट्री नहीं दी गई है. फिलहाल, उसकी हालत स्थिर है. मंकीपॉक्स जांच के लिए युवा का बल्ड सैंपल लिया गया है. भारत के कई राज्यों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. इनके बचाव के लिए सारे उपाय अपनाए जा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी से ग्रसित मरीज के लिए सभी प्रोटोकॉल का फोलो किया जा रहा है. साथ ही देश के भीतर प्रभाव का आकलन करने के लिए उसकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया जारी है. यह केस एनसीडीसी की ओर से किए गए रिस्क असेसमेंट के अनुरूप है और किसी भी अनावश्यक चिंता का कोई कारण नहीं है.
अभी तक 99 हजार से ज्यादा मंकीपॉक्स के केस आए सामने
बता दें कि, मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ ने एक एडवाइजरी जारी की है. डब्लूएचओ ने सबसे पहले जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को पीएचईआईसी घोषित किया था. जिसके बाद में मई 2023 में इसे निरस्त कर दिया था. 2022 से वैश्विक स्तर पर डब्ल्यूएचओ ने 116 देशों से मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 लोगों की मौत होने की बात कही थी.
मंकीपॉक्स को लेकर केंद्र ने जारी की एडवाइजरी
दरअसल, मंकीपॉक्स उन लोगों में ज्यादातर देखें गए हैं जो विदेश यात्रा से लौट रहे हैं. एक रिपोर्ट में बताया कि जो यात्री विदेश से लौटे हैं उनमें इस तरह के लक्ष्ण पाए गए हैं. हालांकि, संभावित जोखिम को प्रबंधित करने और कम करने के लिए कड़े उपाय कदम उठाए जा रहे हैं. जिस मरीज में ये लक्षण पाए गए हैं. उन्हें आइसोलेट रहने की हिदायत दी गई है. वहीं, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जरूरी गाइडलाइंस जारी की हैं. साथ ही राज्यों को कोरोना वायरस की चुनौती के बीच अलर्ट रहने के लिए कहा गया है.
मंकीपॉक्स से बचने के ये हैं सही उपाय
पिछले दिनों हुई स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक में यह बात सामने आई थी कि मंकीपॉक्स का सामान्यतः 2-4 सप्ताह का संक्रमण होता है और मरीज आमतौर पर प्रिक्वेंस से ठीक हो जाते हैं. वैसे यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के साथ लंबे समय तक यौन संपर्क, शरीर, घाव के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े, चादर का इस्तेमाल करने से होता है. ऐसे में आपसे आग्रह किया जाता है कि ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने से बचे.