नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक अहम परंपरा तोड़ते हुए अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत के बजाय चीन का चयन किया है. ओली 2 से 6 दिसंबर तक चीन की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं. यह कदम भारत-नेपाल के पारंपरिक संबंधों में एक नई चुनौती की तरह देखा जा रहा है. दूसरी ओर, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले सप्ताह नेपाल की यात्रा करेंगे. ये भारत और नेपाल के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच हिमालयन नेशन को सामरिक और कूटनीतिक नजरिए से साधने की जुगत कह सकते हैं.
ओली का चीन दौरा और नेपाल की बदलती प्राथमिकताएं
नेपाल के प्रधानमंत्री का यह फैसला चीन और नेपाल के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की ओर इशारा करता है. यह भारत के लिए एक संकेत है कि नेपाल अपनी विदेश नीति को शिफ्ट कर रहा है और उसपर चीन का प्रभाव साफ झलक रहा है. चीन, नेपाल में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है. नेपाल में ओली को चीन के काफी करीब माना जाता है, ऐसे में उनकी यात्रा का उद्देश्य चीन के साथ आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है.
हालांकि, इस परंपरा को तोड़कर ओली ने एक नया कूटनीतिक संदेश दिया है जिससे भारत की चिंताओं का बढ़ना लाजमी है, लेकिन भारत-नेपाल संबंधों की गहराई को नजरअंदाज करना भी मुश्किल है. भारत, नेपाल के साथ अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए सतत प्रयास करता रहा है. तो वहीं चीन पड़ोसी राज्य नेपाल में अपनी धमक बनाए रखने के लिए भारी पैमाने पर आर्थिक निवेश के साथ राजनीतिक हस्तक्षेप से भी गुरेज नहीं करता.
भारत के आर्मी चीफ की नेपाल यात्रा क्या संदेश देती है?
ओली की चीन यात्रा के समानांतर, भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की नेपाल यात्रा यह स्पष्ट संकेत देती है कि भारत-नेपाल के सैन्य संबंध अभी भी मजबूत हैं. दोनों देशों के बीच दशकों से रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में गहरा सहयोग रहा है. जनरल द्विवेदी का यह दौरा परंपरागत कूटनीति के साथ-साथ सैन्य संबंधों को और प्रगाढ़ करने की दिशा में उठाया गया कदम है. और भारत नेपाल के साथ अपने इंगेजमेंट को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता.
यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब भारत-नेपाल के बीच "सूर्य किरण" जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा प्रशिक्षण और आपसी सैन्य आधुनिकीकरण पर चर्चा की योजना है. इस वर्ष भारत में 300 से अधिक नेपाली सैनिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जो इस सहयोग की गहराई को दर्शाता है.
चीन और भारत के बीच नेपाल की स्थिति
नेपाल की विदेश नीति में चीन और भारत के बीच संतुलन बनाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है. ओली का चीन दौरा इस बात को रेखांकित करता है कि नेपाल अब चीन के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है. वहीं, भारत नेपाल के साथ अपने सैन्य और जन-संपर्क संबंधों के माध्यम से अपनी उपस्थिति मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.
भारत-नेपाल के बीच ऐतिहासिक संबंधों की गहराई को देखते हुए, भारतीय सेना प्रमुख का दौरा यह स्पष्ट करता है कि सैन्य कूटनीति भारत के लिए एक मजबूत कड़ी है. यह दौरा ओली की चीन यात्रा के मुकाबले भारत के लिए एक सशक्त संदेश भेजता है कि नेपाल के साथ सैन्य सहयोग भारत-नेपाल संबंधों का अभिन्न हिस्सा है.
परंपरा बनाम कूटनीति
केपी शर्मा ओली का चीन दौरा और भारतीय सेना प्रमुख का नेपाल दौरा, दोनों ही घटनाएं भारत-नेपाल संबंधों के बदलते समीकरण को उजागर करती हैं. ओली ने परंपरा तोड़कर कूटनीति में नई दिशा दी है, लेकिन भारत ने अपने सैन्य और जन-संपर्क संबंधों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि नेपाल के साथ उसकी साझेदारी मजबूत बनी रहे.इन दोनों यात्राओं का व्यापक प्रभाव आने वाले समय में दिखेगा, जहां नेपाल को भारत और चीन के बीच संतुलन साधने की चुनौती का सामना करना होगा. वहीं, भारत को अपने ऐतिहासिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखने के लिए नई नीतियां बनानी होंगी.