ISRO एक बार फिर इतिहास रच चुका है... भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन ‘आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) के करीब एक हेलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है. जहां से ‘आदित्य’ सूर्य सतह पर होने वाली गतिविधियां, उसके तापमान और सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों को समझने के लिए उसपर नजर रखेगा. इसी बीच, इस सफलता के मद्देनजर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ISRO की इस सफलता पर देश को बधाई दी है.
गौरतलब है कि, पीएम मोदी ने ‘आदित्य एल 1’ की हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने की सफलता को लेकर अपने सोशल प्लेटफॉर्म प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया. उन्होंने कहा कि, “भारत ने एक और मील का पत्थर बनाया. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.
बता दें कि, ‘आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 के आसपास हेलो ऑर्बिट में स्थापित करना बहुत बड़ी सफलता है, क्योंकि यहां से सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर बारीकी से नजर रखी जा सकती है. साथ ही उससे संबंधित जानकारी हासिल की जा सकती है. मालूम हो कि, लैग्रेंज प्वाइंट 1 वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है.
मिशन का उद्देश्य.. सूर्य को समझना
बता दें कि इस आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य उद्देश्य, सौर मंडल में सूर्य की सतह पर होने वाली गतिविधियां, उसके तापमान, और सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों को समझना है. साथ ही पृथ्वी के समीप अंतरिक्ष में मौसम संबंधी परेशानियों की जानकारी हासिल करना है. मिली जानकारी के अनुसार, इसरो के इस मिशन पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
Source : News Nation Bureau