महामारी से पहले ही भारत में बेरोजगारी दर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही थी और अब करोना संक्रमण, लॉक डाउन की वजह से अपनी अधिकतम स्तर पर पहुंच गई है. संसद की वाणिज्य से जुड़ी हुई स्थाई समिति की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 10 करोड़ भारतीयों की नौकरियां चली गई, जिन्हें दोबारा नौकरी मिलने के आसार इस साल कम ही नजर आ रहे है.
अर्थव्यवस्था पर पैनी नजर रखने वाले अर्थशास्त्रियों का मानना है कि क्रेडिट रैंकिंग संस्थाओं से लेकर आईएमएफ वर्ल्ड बैंक (IMF World Bank) तक भारत में गंभीर बेरोजगारी के सवाल उठा चुके हैं.
कांग्रेस नेता अब बेरोजगारी पर भी मुखर हो गए हैं
कांग्रेस सांसद वी विजसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाली वाणिज्य से जुड़ी संसदीय स्थाई समिति ने प्रोजेक्शन किया है. लिहाजा पहले से ही विदेश नीति और राजस्थान के सियासी संग्राम पर बीजेपी सरकार को छेड़ने वाले कांग्रेस नेता अब बेरोजगारी पर भी मुखर हो गए हैं.
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20 लाख करोड़ की संजीवनी से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
वहीं सरकार में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं की मानें तो अर्थव्यवस्था भले ही नाजुक दौर से गुजर रही हो ,लेकिन मोदी सरकार द्वारा दी गई 20 लाख करोड़ की संजीवनी से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
महामारी और आर्थिक संकट दोनों अभी बाकी है
पार्लियामेंट्री कमिटी ऑन कॉमर्स में भले ही बेरोजगारी में स्थान समय और सेक्टर के बारे में साफ-साफ नहीं बताया हो लेकिन बेरोजगारी का सबसे भयानक चेहरा प्रवासी मजदूरों के पलायन से ही नजर आ गया था. और अब धीरे-धीरे इंडस्ट्री और उस सर्विस सेक्टर तक भी पहुंचने लगा है जो पहले से ही अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के चलती बुरे दौर से गुजर रहे थे. लिहाजा महामारी और आर्थिक संकट दोनों अभी बाकी है.
Source : News Nation Bureau