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ये हैं नोबेल पुरस्‍कार विजेता 10 भारतीय, जानें अभिजीत बनर्जी से पहले किस-किसको मिला

अमर्त्य सेन (Amartya Sen) के बाद अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) ऐसे दूसरे भारतीय मूल के अर्थशास्त्री हैं जिन्‍हें अर्थशास्‍त्र का नोबेल पुरस्‍कार मिला है.

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Drigraj Madheshia
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ये हैं नोबेल पुरस्‍कार विजेता 10 भारतीय, जानें अभिजीत बनर्जी से पहले किस-किसको मिला

अभिजीत बनर्जी समेत 3 को मिला अर्थशास्‍त्र का नोबेल( Photo Credit : Twitter/ The Nobel Prize)

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अमर्त्य सेन (Amartya Sen) के बाद अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) ऐसे दूसरे भारतीय मूल के अर्थशास्त्री हैं जिन्‍हें अर्थशास्‍त्र का नोबेल पुरस्‍कार मिला है. अभिजीत को लेकर कुल 10 भारतीय या भारतीय मूल के लोगों को नोबल पुरस्‍कार मिल चुके हैं.अभिजीत बनर्जी से पहले रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य, चन्द्रशेखर वेंकटरमन को भौतिकी, मदर टेरेसा (Mother Teresa) को शांति, अमर्त्य सेन (Amartya Sen) को अर्थशास्त्र, कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) को शांति, हरगोविन्द खुराना को मेडिसिन, सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर को भौतिकी, वेंकटरामन रामकृष्णन को रसायन शास्त्र और वीएस नायपॉल को साहित्य का नोबेल पुरस्‍कार मिल चुका है. बता दें नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) हर साल अद्वितीय कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को दिया जाता है. यह पुरस्कार (Nobel Prize) शांति, साहित्य, भौतिकी, केमिस्ट्री, चिकित्‍सा और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाता है.

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पहला नोबेल पुरस्कार 1901 में भौतिकी, केमिस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शांति के क्षेत्र में दिए दिया गया था. पहला नोबेल पुरस्कार भौतिकी के क्षेत्र में विलहम कॉनरैड रॉटजन, केमिस्ट्री के क्षेत्र में जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, मेडिसिन के क्षेत्र में इमिल वॉन बेहरिंग, साहित्य के क्षेत्र में सुली प्रुधोम और शांति के क्षेत्र में हेनरी डूनांट को दिया गया था.
जहां तक भारतीयों की बात है तो रवींद्रनाथ ठाकुर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे. उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया. आइए जानें वो कौन-कौन से भारतीय हैं जिन्‍हें नोबल पुरस्‍कार मिल चुका है..

  • रवीन्द्रनाथ टैगोर- साहित्य 
  • चन्द्रशेखर वेंकटरमन- भौतिकी
  • मदर टेरेसा (Mother Teresa) - शांति
  • अमर्त्य सेन (Amartya Sen) - अर्थशास्त्र
  • कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) - शांति
  • हरगोविन्द खुराना- मेडिसिन
  • सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर- भौतिकी
  • वेंकटरामन रामकृष्णन- रसायन शास्त्र
  • वीएस नायपॉल - साहित्य
  • अभिजीत बनर्जी-अर्थशास्त्र
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अभिजीत बनर्जी

2019 का अर्थशस्‍त्र का नोबेल भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को दिया गया है. अभिजीत, एस्थर और माइकल को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था. इनकी माता निर्मला बनर्जी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं. पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर थे.

कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi)

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भारत में बच्चों के लिए लड़ने वाले कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) को 2014 में शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें पाकिस्तान में लड़कियों के हक की आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई के साथ साझा तौर पर यह सम्मान दिया गया.

वी एस नायपॉल (V S Naipaul)

त्रिनिदाद में जन्मे भारतीय मूल के लेखक वी . एस . नायपॉल को 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया.

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अमर्त्य सेन (Amartya Sen)

अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन (Amartya Sen) पहले एशियाई हैं. शांतिनिकेतन में जन्मे इस विद्वान अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है. उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक किताबें लिखी हैं. उन्होंने गरीबी और भुखमरी जैसे विषयों पर काफी गंभीरता से लिखा है. उन्होंने 1974 में बांग्लादेश में पड़े अकाल पर भी लिखा है.

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मदर टेरेसा (Mother Teresa)

अल्बानिया में जन्‍मीं मदर टेरेसा (Mother Teresa) को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला. 1928 में वह आयरलैंड की संस्था सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल हुईं और मिशनरी बनकर 1929 में कोलकाता आ गईं. उन्होंने बेसहारा और बेघर लोगों की खूब मदद की. गरीब और बीमार लोगों की सेवा के लिए उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था बनाई और कुष्ठ रोगियों, नशीले पदार्थों की लत के शिकार बने लोगों और दीन-दुखियों के लिए निर्मल हृदय नाम की संस्था बनाई. यह संस्था उनकी गतिविधियों का केंद्र बनी.

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyam Chandrasekhar)

1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyam Chandrasekhar) भौतिक शास्त्री थे. उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई. वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रमन के भतीजे थे. बाद में चंद्रशेखर अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं.

रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore)  

टैगोर (Rabindranath Tagore) का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था. वह एक कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे. टैगोर (Rabindranath Tagore) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. रवींद्रनाथ साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे. उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया. 

वेंकटरमण रामकृष्णन(Venkataraman Ramakrishnan)

भारतीय मूल के अमेरिकी विज्ञानी वेंकटरमण रामकृष्णन(Venkataraman Ramakrishnan) को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में साल 2009 का नोबेल पुरस्कार दिया गया. यह पुरस्कार उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस ए. स्टेट्ज और इस्राएल की अदा ई. योनथ के साथ संयुक्त रूप से दिया गया. इन वैज्ञानिकों को राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर अध्ययन के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया. रामकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के चिदंबरम जिले में 1952 में हुआ था.

चंद्रशेखर वेंकटरमन (Chandrasekhara Venkata Ramana)

भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वाले पहले भारतीय डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन (Chandrasekhara Venkata Ramana) थे. उन्हें 1930 में यह सम्मान मिला. रमन का जन्म तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली के पास तिरुवाइक्कावल में हुआ था. वेंकटरमन ने प्रकाश पर गहन अध्ययन किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने एक आविष्कार किया जो विज्ञान जगत में 'रमन इफेक्‍ट' के नाम से जाना जाता है. इसी खोज के लिए उन्हें 1930 में विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार नोबेल पुरस्कार मिला.

हरगोबिंद खुराना (Dr. Hargovind Khurana)

हरगोबिंद खुराना (Dr. Hargovind Khurana) को चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. भारतीय मूल के डॉ. खुराना का जन्म पंजाब में रायपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. 1960 में वह विस्कॉसिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बने. उन्होंने अपनी खोज से आनुवांशिक कोड की व्याख्या की और प्रोटीन संश्लेषण में इसकी भूमिका का पता लगाया.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

Amartya Sen Nobel Prize 2019
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