देश में सांप्रदायिकता का माहौल अपने चरम पर है और यह लगातार तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। इस बात की गवाही मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़े दे रहे हैं।
साल 2017 में देश भर में 822 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में 111 लोगों की मौतें हुई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में बुधवार को इसकी जानकारी दी।
राज्यसभा में अहीर ने कहा, 'साल 2016 में सांप्रदायिक हिंसा की 703 घटनाओं में 86 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2015 में 751 ऐसी घटनाओं में 97 लोगों की मौतें हुई।'
हंसराज अहीर ने एक लिखित जवाब में कहा कि कानून व्यवस्था, शांति और सांप्रदायिक सद्भावना, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जिम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों पर है।
उन्होंने कहा, 'देश में सांप्रदायिक सद्भावना को बनाए रखने के लिए केंद्र ने राज्यों को कई तरीके से सहयोग किया है। जिसमें गुप्त समाचारों की साझेदारी, अलर्ट मैसेज और महत्वपूर्ण चीजों को लेकर समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है।'
लगातार बढ़ रही हैं सांप्रदायिक घटनाएं
बता दें कि देश भर में कथित गोरक्षा, लव जिहाद, धार्मिक द्वेष, बच्चा चोरी के नाम पर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिसमें मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) का चलन सबसे ज्यादा बढ़ा है।
इसमें वॉट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर फैलाए जा अफवाहों और फर्जी खबर सबसे ज्यादा जिम्मेदार बन रहे हैं।
हाल ही में पिछले चार महीने में व्हाट्सएप के जरिये फैले अफवाहों के आधार पर देश के अलग-अलग हिस्सों में सांप्रदायिक भीड़ ने करीब 30 लोगों की जानें ले ली है। जिसमें एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है।
केंद्र सरकार ने उठाए कदम
मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) की बढ़ती घटनाओं पर केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को सख्त कदम उठाते हुए दो उच्चस्तरीय कमेटी गठित की है जो इन घटनाओं से निपटने और कानूनी ढांचा तैयार करने पर चार हफ्तों के अंदर सुझाव देगी।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद सरकार ने यह कदम उठाए हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इसे लेकर संसद में कानून बनाने का आदेश दिया था।
सोशल मीडिया का बड़ा रोल
विश्व में 150 करोड़ यूजर्स वाले इस मैसेजिंग एप का भारत में सबसे बड़ा आधार है। भारत में करीब 20 करोड़ व्हाट्सएप यूजर्स है।
व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये मैसेज फॉरवर्ड करने का चलन भारत में काफी तेजी से बढ़ा है जिसके कारण गलत और सांप्रदायिक सूचनाओं का भी प्रसार तेजी से हो रहा है।
सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में सोशल मीडिया की भूमिका इस तरह बढ़ रही है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने भी मंगलवार को कहा था कि देश के लोगों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज की खुद से जांच करनी होगी।
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Source : News Nation Bureau