हैदराबाद में 13 साल की अराधना की 68 दिनों तक उपवास रखने के बाद मौत हो गई। लड़की जैन धर्म के "चौमासा" व्रत पर थी। 64 दिन बाद उपवास तोड़ते ही उसकी मौत हो गई। अराधना की अंतिम यात्रा में करीब 600 लोग शामिल हुए थे। वहीं, लोगों ने उसे 'बाल तपस्वी' बताया।
बताया जा रहा है कि एक संत के कहने पर अराधना ने पिता को व्यापार में सफलता दिलाने के लिए उपवास रखा था। दो दिन पहले व्रत तोड़ने के बाद उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। जहां अचानक उसकी दिल की धड़कन रुकने से मौत हो गई।
बाल अधिकार एनजीओ ने लड़की की मौत के बाद ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच की मांग की है। एनजीओ बलाला हक्कुला संगम के सदस्य अच्युत राव ने हैदराबाद पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि लड़की के माता-पिता लक्ष्मीचंद और मनीषा को गिरफ्तार किया जाए।
एनजीओ की शिकायत के बाद पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस उपायुक्त बी. सुमति (नार्थ जोन) ने कहा कि घटना की प्रारंभिक जांच के बाद मामले की रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
जैन समुदाय की सदस्य लता जैन ने "चौमासा" के बारे में बताया कि यह एक रस्म है, जिसमें लोग खाना-पानी त्यागकर खुद को तकलीफ पहुंचाते हैं। ऐसा करने वालों को धार्मिक गुरु और समुदाय वाले काफी सम्मानित भी करते हैं। उन्हें तोहफे दिए जाते हैं, लेकिन इस मामले में तो लड़की नाबालिग थी। अगर यह हत्या नहीं तो आत्महत्या तो जरूर है।
अराधना की मौत पर लोग सवाल उठा रहें हैं। जिसके जवाब में अराधना के दादा मानेकचंद समधरिया ने कहा, "हमने कुछ भी नहीं छुपाया। लेकिन अब कुछ लोग हम पर उंगली उठा रहे हैं।"
Source : News Nation Bureau