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15 अगस्‍त 1947, जानें ऐसा क्या हुआ था, जो इतिहास के पन्नों में हो गया दर्ज

15 अगस्‍त 1947, भारत के इतिहास का ये वो सबसे खूबसूरत दिन है जब भारत को ब्रिटिश शासन के 200 सालों के राज से आजादी मिली थी. दरअसल में ये वो दिन हैं जो हमारे फ़्रीडम फाइटर्स के त्याग और तपस्या की याद दिलाता है.

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Rupesh Ranjan
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ध्वजारोहण( Photo Credit : News Nation )

15 अगस्‍त 1947,भारत के इतिहास का ये वो सबसे खूबसूरत दिन है जब भारत को ब्रिटिश शासन के 200 सालों के राज से आजादी मिली थी. दरअसल में ये वो दिन हैं जो हमारे फ़्रीडम फाइटर्स के त्याग और तपस्या की याद दिलाता है. इसी दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. बता दें कि इस दिन काफी कुछ ऐसा हुआ था, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का वो पहला भाषण जो उन्होंने 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि में वायसराय लॉज ( मौजूदा राष्ट्रपति) भवन से दिया था.

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नेहरू ने अपने पहले भाषण के दौरान देश को संबोधित करते हुए कहा था कि कई साल पहले हमने भाग्य को बदलने का प्रयास किया था और अब वो समय आ गया जब हम अपनी प्रतिज्ञा से मुक्त हो जाएंगे. पूरी तरह से नहीं लेकिन ये महत्वपूर्ण है. आज रात 12 बजे जब पूरी दुनिया सो रही होगी उस समय भारत स्वतंत्र जीवन के साथ नई शुरूआत करेगा.  नेहरू के भाषण ने भारत के लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगा दी. नेहरु के इस भाषण ने देश को भौगोलिक और आंतरिक रूप से सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने के बावजूद भी साहस को प्रेरित किया.

15 अगस्त 1947 को बिस्मिल्लाह खां ने शहनाई बजाकर आजादी की पहली सुबह का शानदार स्वागत किया था. गौरतलब है कि जब भारत आज़ाद होने को हुआ तो पंडित जवाहरलाल नेहरू की अभिलाषाएं थी कि इस मौके पर बिस्मिल्लाह खां को दिल्ली आमंत्रित की जाए. इतिहासकारों के मुताबिक स्वतंत्रता दिवस समारोह का इंतज़ाम देख रहे तत्कालीन संयुक्त सचिव बदरुद्दीन तैयबजी को खां साहब को ढ़ूढंकर उन्हें दिल्ली लाने की जिम्मेवारी दी गई. नेहरु के आमंत्रण पर खां साहब दिल्ली आए. बिस्मिल्लाह खां और उनके साथियों ने राग बजा कर सूर्य की पहली किरण का स्वागत किया. इसके बाद पंडित नेहरू ने झंडावंदन किया. 

भारत आज स्‍वतंत्रता की 75वीं सालगिरह मनाने की तैयारियों में जुटा है. हर तरफ जश्न का माहौल है. इस आधुनिक युग में हर कोई अपने - अपने तरीके से जश्न मनाने की पूरी तैयारी कर रहा है. लालकिले पर हर साल जश्न में शामिल होने के लिए हजारों की भीड़ जुटती है. लेकिन आज से ठीक 75 साल पहले जब भारत आधुनिकता के दौर से कोसो दूर था उस वक्त भी दिल्ली के लालकिले पर जश्न में शामिल होने के लिए हजारों की भीड़ जुटी थी. 

Source : News Nation Bureau

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