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राजस्थान में शह और मात का खेल, पायलट समेत 19 विधायकों ने दी स्पीकर के नोटिस को HC में चुनौती

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने इन 19 विधायकों को नोटिस कर जवाब मांगा था. लेकिन अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है.

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Dalchand Kumar
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Sachin Pilot

राजस्थान में शह और मात का खेल, स्पीकर के नोटिस को HC में चुनौती( Photo Credit : फाइल फोटो)

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राजस्थान (Rajasthan) में सत्ताधारी कांग्रेस के अंदर की लड़ाई अब हाईकोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई है. कांग्रेस ने विधायक दल की हालिया बैठकों से अनुपस्थित रहने पर राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) और 18 अन्य विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग की थी. जिस पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने इन 19 विधायकों को नोटिस कर जवाब मांगा था. लेकिन अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. सचिन पायलट और 18 बाकी विधायकों की ओर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

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बागी विधायकों की याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है और इस याचिका आज दोपहर 3 बजे सुनवाई होगी. जज सतीश चंद्र शर्मा की कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी. देवेश महेश्वरी वकील के तौर पर जयपुर पहुंचे हैं. तो हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ऑनलाइन पैरवी कर सकते हैं. कांग्रेस के मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी की ओर से की गई शिकायत के आधार पर राजस्थान विधानसभा सचिवालय ने कांग्रेस विधायक दल की हालिया बैठकों में शामिल नहीं होने वाले 18 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के नोटिस जारी किए हैं.

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उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक माने जा रहे 18 विधायक सोमवार और मंगलवार को यहां हुई विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए. पार्टी ने कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने के आरोप में पायलट तथा दो मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंगलवार को उनके पदों से बर्खास्त कर दिया था. सूत्रों के अनुसार विधायकों को ये नोटिस भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और सपठित 10वीं अनुसूची तथा राजस्थान विधानसभा (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियम 1989 के प्रावधान के तहत जारी किए गए हैं.

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विधायकों से कहा गया था कि वे अपने लिखित जवाब तीन दिन में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश करें. इन याचिकाओं को 17 जुलाई को दोपहर एक बजे विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में विधानसभा अध्यक्ष के सामने जाना तय हुआ था. नोटिस में कहा गया था कि विधायक अगर लिखित टिप्पणी या जवाब नहीं देते हैं तो सम्बद्ध याचिका पर एक पक्षीय सुनवाई कर उसका निस्तारण कर दिया जाएगा. विधायकों को जारी नोटिस उनके निवास के बाहर भी चस्पा किए गए और इनमें से कई नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे.

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