Advertisment

हाशिमपुरा नरसंहार: 15 में से 4 दोषी जवान तीस हज़ारी कोर्ट पहुंचे सरेंडर करने, भेजे गए तिहाड़ जेल

हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी ठहराए गए 15 पीएसी जवानों में से चार जवान गुरुवार को तीस हज़ारी कोर्ट आत्मसमर्पण करने पहुंचे.

author-image
ruchika sharma
एडिट
New Update
हाशिमपुरा नरसंहार: 15 में से 4 दोषी जवान तीस हज़ारी कोर्ट पहुंचे सरेंडर करने, भेजे गए तिहाड़ जेल

हाशिमपुरा नरसंहार

Advertisment

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 1987 हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी ठहराए गए 15 यूपीपीएसी जवानों में से चार जवान गुरुवार को तीस हज़ारी कोर्ट आत्मसमर्पण करने पहुंचे. इन चारों जवानों को तिहार जेल भेजा जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट ने बाकी जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने जवानों को 22 नवंबर तक सरेंडर करने का समय दिया था. पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने 1987 हाशिमपुरा नरसंहार मामले में 38 लोगों की हत्या के लिए उत्तर प्रदेश प्रोविंशियल आम्र्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 16 पूर्व जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अदालत ने इसे एक समुदाय के निहत्थे और निर्दोष लोगों का नरसंहार करार दिया. 

न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने 2005 के निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था.

निचली अदालत ने जवानों को हत्या और और दूसरे अपराधों के आरोप में बरी कर दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने इन 16 आरोपियों को आपराधिक साजिश, अपहरण, हत्या और साक्ष्यों को गायब करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था. एक याचिका में निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसपर पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी. 

इस मामले में 19 आरोपी थे, जिमें से लंबे मुक़दमे के दौरान तीन की मौत हो गई थी. नरसंहार मामले में आरोपी 16 जवान सेवानिवृत्त हो चुके है. हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को 22 नवंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया था. ऐसा न करने पर कोर्ट ने संबंधित थाना प्रभारी को हिरासत में लेने का आदेश दिया था. गाजियाबाद में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रहे विभूति नारायण राय ने 22-23 मई, 1987 की रात को मामले में पहली प्राथमिकी दर्ज की थी.

और पढ़ें: राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक बोले, ‘ईद के पवित्र दिन मैंने विधानसभा भंग करने का पवित्र फैसला लिया’

क्या है मामला ?

हाशिमपुरा के पीड़ितों को पीएसी की 41 बटालियन द्वारा हाशिमपुरा के पड़ोस से तलाशी अभियान के दौरान उठा लिया गया था. पीड़ितों में सभी मुस्लिम थे. इन्हें ट्रक से लाया गया और कतार में खड़ा कर गोली मारकर उनकी नृशंस हत्या कर दी गई. कहा जाता है कि 42 लोगों को गोली मारी गई, लेकिन इसमें से चार लोग मृत होने का बहाना कर बच निकले थे. इस मामले में आरोप-पत्र मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, गाजियाबाद के समक्ष 1996 में दाखिल किया गया था. नरसंहार पीड़ितों के परिवारों की एक याचिका के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सितंबर 2002 में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था.

Source : News Nation Bureau

Delhi Tis Hazri Court hashimpura massacre Hashimpura mass murder case
Advertisment
Advertisment