दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को कथित घूस मामले (Bribe Case) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) और अधिकारी देवेंद्र कुमार (Devendra Kumar) के खिलाफ जांच के लिए एजेंसी को दो और महीने का अतिरिक्त समय दे दिया है. न्यायमूर्ति विभु बखरु ने एजेंसी को और ज्यादा समय देते हुए कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि और कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाए कि दी गई समयसीमा के अंतर्गत जांच पूरी हो."
सुनवाई के दौरान, जांच एजेंसी ने स्वीकार किया कि लेटर रोगेटरी (LR) को जारी कर दिया गया है और जवाब अभी भी लंबित है. सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी (Vikaramjeet Benerjee) ने अदालत से कहा कि मामले में कुछ अन्य परिपेक्ष्यों से भी जांच लंबित है और इसलिए ज्यादा समय की जरूरत है. एजेंसी के दावों का विरोध करते हुए, राकेश अस्थाना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन ने कहा, "शिकायतकर्ता में एक सतीश सना है, जिसे पहले ही उन्होंने गिरफ्तार कर लिया है. उससे एक बार मैंने पूछताछ की थी, अब केवल उसने शिकायत दर्ज कराई है."
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उन्होंने कहा, "सीबीआई को 10 सप्ताह दिए गए थे, उसके बाद उन्हें फिर चार और महीने दिए गए और अब वे फिर से समय मांग रहे हैं." सीबीआई की याचिका के अनुसार, एजेंसी ने अदालत का रूख किया है क्योंकि विदेश में जांच से संबंधित कुछ मुद्दे अभी लंबित है. जांच एजेंसी ने जांच के लिए दी गई चार महीने की मोहलत खत्म होने के बाद अदालत का रुख किया. अस्थाना और देवेंद्र कुमार के खिलाफ सीबीआई कथित रूप से हैदराबाद के व्यापारी सतीश बाबू सना को क्लीन चिट दिए जाने के बदले घूस लेने के मामले की जांच कर रही है. अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भी उन्हें मामले में फंसाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद केंद्र ने बीते वर्ष दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था.
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