गुजरात को गोधरा में साल 2002 में हुए दंगों के ममाले में सोमवार को स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पांच आरोपियों पर अपना फैसला सुनाया। एसआईटी कोर्ट ने 5 में से 2 लोगों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई और अन्य 3 को बरी कर दिया। SIT ने इस मामले में इमरान उर्फ शेरू भटुक और फारूक भाना को आजीवन कारावास की सजा दी है जबकि हुस्सैन सुलेमान मोहन, फारूक धांतिया और कासम भमेड़ी को बरी कर दिया गया है।
इससे पहले अलग-अलग एजेंसियों ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया था, जो कि विशेष अदालत की ओर से 94 आरोपियों पर वर्ष 2011 में सुनवाई के वक्त फरार चल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन्हें ट्रायल के लिए रखा गया।
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विशेष अधिवक्ता जेएम पांचाल के अनुसार गिरफ्तार किए गए 6 आरोपियों में से एक कादिर पटालिया की दिल के दौरा पड़ने के कारण जनवरी 2018 में मौत हो गई थी। इसके बाद पांच लोगों को ट्रायल पर रखा गया जो कि गोधरा के ही रहने वाले हैं।
इससे पहले 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 लोगों की सजा को घटाते हुए मृत्यु दंड से उम्र कैद कर दिया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बात के भी निर्देश दिए कि पीड़ितों के परिजन को 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया जाए।
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आखिर क्या है मामला?
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में गोधरा स्टेशन पर आग लगा दी गई थी। जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे। गोधरा ट्रेन अग्निकांड में मारे गए अधिकतर लोग कार सेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे।
इन दंगों में तकरीबन एक हजार लोग मारे गए थे। यह पूरा मामला लोकल पुलिस स्टेशन से लेकर वर्ष 2008 में एसआईटी के हवाले कर दिया गया। हिंसा की इस घटना पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया बल्कि 94 लोगों पर मुकदमा चलाया गया।
इसके बाद स्पेशल एसआईटी जज ज्योत्सना याग्निक ने 31 लोगों को दोषी ठहराते हुए 63 लोगों को बरी कर दिया। दोषियों में से 11 लोगों को मृत्यु दंड जबकि 20 को उम्र कैद की सजा दी गई। पिछले वर्ष (2017) में गुजरात हाई कोर्ट ने 11 लोगों की सजा को घटाते हुए मृत्यु दंड से उम्र कैद कर दिया।
Source : News Nation Bureau