महाराष्ट्र में सितंबर महीने में 235 किसानों ने की आत्महत्या : राज्य सरकार

आंदोलन, मांग और सरकार के आश्वासनों के बावजूद महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है. महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि इस साल सितंबर महीने में विभिन्न कारणों से राज्य में 235 किसानों ने आत्महत्या किया है.

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saketanand gyan
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महाराष्ट्र में सितंबर महीने में 235 किसानों ने की आत्महत्या : राज्य सरकार

प्रतीकात्मक तस्वीर

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देश भर में एक बार फिर किसान आंदोलनरत हैं. गुरुवार को ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आश्वासन के बाद एक बार फिर करीब 20,000 किसानों ने अपना आंदोलन खत्म किया था. लेकिन आंदोलन, मांग और सरकार के आश्वासनों के बावजूद महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है. महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि इस साल सितंबर महीने में विभिन्न कारणों से राज्य में 235 किसानों ने आत्महत्या किया है. गुरुवार को विधानसभा में महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने लिखित जवाब में यह जानकारी दी.

मंत्री ने जवाब में कहा, 'विदर्भ क्षेत्र के 6 जिलों में जनवरी 2001 और अक्टूबर 2018 के बीच विभिन्न कारणों से 15,629 किसानों ने अपनी जानें गंवा दी. इसमें से 7,008 किसान वित्तीय मुआवजे के योग्य थे और उनके परिवारों को 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई.'

मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने यह भी कहा कि करीब 215 मामले जांच के लिए लंबित हैं. उन्होंने कहा कि नासिक जिले में जनवरी से सितंबर 2018 के बीच 73 किसान आत्महत्या के मामले सामने आए, जिसमें से 17 वित्तीय मुआवजे के हकदार थे. उन्हें 1 लाख रुपये की सहायता राशि दी गई.

कोल्हापुर में 2004 और 2018 के बीच 113 किसानों ने आत्महत्या की. मराठवाड़ा में जनवरी और सितंबर 2018 के बीच 674 किसानों ने आत्महत्या की. इसमें से 445 को मुआवजे के लिए योग्य पाया गया.

पाटिल ने कहा कि जो किसान आत्महत्या करते हैं, उन्हें मुआवजे राशि देने के मापदंडों को आसान बनाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है.

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उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सभी जरूरतमंद किसानों को खाद्य सुरक्षा योजना के साथ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का लाभ दिया जाय और आत्महत्या किए किसानों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करें.

गौरतलब है कि हजारों किसानों ने एक बार फिर ठाणे से मुंबई के लिए कूच किया था. किसान कृषि कर्ज माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों, वन अधिकार अधिनियम, कृषि श्रमिकों की पेंशन योजना में बढ़ोतरी और कीट हमलों से हुए नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर किसान आंदोलित थे. हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी एक बार भी आश्वासन देकर किसानों को वापस भेज दिया.

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इससे पहले इसी साल मार्च महीने में पूर्ण कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने के लिए 30,000 से अधिक किसान नासिक से पैदल मार्च करते हुए मुंबई पहुंचे थे. उस वक्त भी देवेंद्र फडणवीस ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर उनकी अधिकतर मांगों को मान लिया था. हालांकि वह लागू नहीं हो सका.

Source : News Nation Bureau

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