1. सुबह 6 बजे इंडिया ब्रिज से कालाढूंगी पहाड़ी होते कच्छ के रण में प्रवेश : जिस तरह से माउंट आबू राजस्थान में सबसे ऊंचा स्थल है, वैसे ही कालाढूंगी की पहाड़ी कच्छ में सबसे ऊंचा स्थान है. हालांकि यहां पर रण की औसत ऊंचाई समुद्र तट से 15 मीटर ज्यादा है, लेकिन फिर भी मानसून के समय यह पूरा क्षेत्र दलदल यह हो जाता है, जबकि सूखते ही यहां पर नमक से भरी हुई हवा चलती है और पूरा रेगिस्तान सफेद नमकीन ही रेत में तब्दील हो जाता है.
ईसा पूर्व तीसरी और चौथी शताब्दी में इस क्षेत्र से सिंधु नदी की धारा बहती थी, जानकारों की मानें तो जब पोरस पर विजय हासिल करने के बाद सिकंदर ने गंगा तक पहुंचने की कोशिश की तो, एलेग्जेंडर की सेना में भगदड़ मच गई और विश्व विजेता इसी क्षेत्र से पानी के जहाज के जरिए भारत छोड़कर भागता हुआ नजर आया.
कुछ साल पहले तक इंडिया ब्रिज को ही कच्छ के रण क्षेत्र में प्रवेश का एकमात्र जरिया माना जाता था. 1 साल पहले तक इस पुल की सुरक्षा बीएसएफ के अंतर्गत आती थी, हालांकि अब कई सड़कें बनने के बाद देश की सुरक्षा का काम गुजरात पुलिस संभालती है. 1971 की जंग में बीएसएफ ने इसी पुल का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान की सीमाओं में घुसकर कड़ा प्रहार किया था.
2. सुबह 7 बजे पाकिस्तान से जीत कर लाई गई हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति से आशीर्वाद लेकर अग्नि पथ पर अग्रसर
इस मंदिर का इतिहास भी किसी रहस्य से कम नहीं है. बालू से बनी हुई हनुमान जी की प्रतिमा तकरीबन 13 सौ साल पुरानी है, जो भारतीय सीमा से 60 किलोमीटर अंदर पाकिस्तान के एक गांव में रखी गई थी, लेकिन जब अक्टूबर 1971 में बीएसएफ की तीन बटालियन युद्ध की स्थिति को देखते हुए यहां पहुंचे और 71 की जंग में बीएसएफ ने पाकिस्तान के अंदर तकरीबन 60 किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा कर लियां तब बीएसएफ के जवानों को हनुमान जी की यह प्राचीन मूर्ति मिली थी.
1972 में इंदिरा गांधी के शिमला समझौते के बाद जब भारतीय सशस्त्र बल अपनी सीमाओं में लौटने लगे, तब बीएसएफ के जवानों को सपना आया कि हनुमानजी उन्हें कह रहे हैं कि अपने साथ ले चलो इसके बाद एक स्थान पर मूर्ति को रखा गया और मूर्ति अपने आप स्थापित हो गई. इस मंदिर के पुजारी भी बीएसएफ के ही जवान है. वह कहते हैं कि मंदिर में स्थापित होने के बाद कोई भी जवान इस मूर्ति को हिला नहीं पाया. तब से हनुमान मंदिर की बड़ी मान्यता है लोग यहां पर मनोकामना पूरी होने के बाद घंटी बांध कर चले जाते हैं. न्यूज़ नेशन की टीम ने भी मंदिर जाकर हनुमान जी का आशीर्वाद लिया, क्योंकि बीएसएफ की मान्यता है की बजरंगबली कच्छ क्षेत्र में हमेशा उनके साथ बने रहते हैं.
3. सुबह 8 बजे - खुरा चैकिंग
सुबह के समय बीएसएफ की महत्वपूर्ण चौकी है खुरा चेकिंग. इसे खुरा चेकिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि जानवरों के खुर और इंसान के पैरों के निशान की जांच की जाती है. नमकीन सफेद रेगिस्तान होने के कारण इंसान हो या जानवर पैरों के निशान कई दिनों तक बरकरार रहते हैं. ऐसे में बीएसएफ के जवान सफेद रेगिस्तान में कई किलोमीटर पैदल चलकर पता लगाने की कोशिश करते हैं कि कहीं रात के समय कोई घुसपैठिया भारत की सीमा में प्रवेश तो नहीं कर गया. पुराने जमाने में तो यहां तक माना जाता था कि जो खुरा चेकिंग के एक्सपर्ट होते थे. वह सिर्फ पैरों के निशान से ही व्यक्ति की आयु,वजन और आने-जाने की दिशा का अंदाजा लगा लेते थे. आज भी रोज सुबह बीएसएफ के जवान सबसे पहले खुर यानी जानवर के और इंसान के पैरों के निशान की जांच करते हैं.
4. दौपहर 12 बजे - पैदल पेट्रोलिंग
अग्निपथ यानी भारत पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर न्यूज़ नेशन की टीम सीमा पहेलियों के साथ पहुंच चुकी है. यहां से शुरू होती है कई किलोमीटर तक चलने वाली पैदल पेट्रोलिंग. जिसमें बीएसएफ के जवान सीमा की निगरानी करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि कहीं घुसपैठ की कोशिश तो नहीं हुई और कहीं पर फैंसिंग कटी तो नहीं हुई. खास बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दो तरह की फेंसिंग नजर आती है. एक तरफ जहां पुरानी तकनीक है लेकिन वह इस क्षेत्र में नमकीन हवा होने के कारण ज्यादा कारगर नहीं है, लोहे पर जंग लग जाता है, जबकि नई तकनीक के तहत इजराइल की तकनीक से फैंसिंग की गई है जिसमें जंग लगने की गुंजाइश कम है.
5. दौपहर 3 बजे - डॉग स्क्वायड पेट्रोलिंग
कुत्तों की सुनने की शक्ति इंसानों से कहीं ज्यादा होते हैं. यही वजह है कि लैब्राडोर जिस कुत्ते का नाम बेबी है. उसके साथ बीएसएफ के जवान गश्त लगाते हैं, जिससे इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि सीमा के उस पार से कहीं कोई नशीली वस्तु या विस्फोटकों का कारोबार तो नहीं किया जा रहा.
6 शाम 5 बजे - व्हीकल पेट्रोलिंग
कच्छ भारत का सबसे बड़ा जिला है, लिहाजा पैदल पेट्रोलिंग करने से पूरी अंतरराष्ट्रीय सीमा के गश्त लगाना संभव नहीं है, इसलिए बॉर्डर पेट्रोलिंग व्हीकल का इस्तेमाल किया जाता है. जब बॉर्डर आउटपोस्ट बहुत दूर दूर होती है और सैकड़ों किलोमीटर तक गश्त लगाने की जरूरत होती है. तब इस तरह की बॉर्डर पेट्रोलिंग व्हीकल के जरिए बहुत तेजी से एक लंबे इलाके से गुजर रही सरहद पर निगरानी की जाती है. भारतीय क्षेत्र में फैंसिंग के साथ-साथ बॉर्डर रोड काफी अच्छी स्थिति में है. यही वजह है कि जहां पाकिस्तान के क्षेत्र में सिर्फ सफेद रेत नजर आती है. वहीं भारत की सीमा में चमचमाती हुई सड़क और उस पर सरपट दौड़ती हुई बीएसएफ की बॉर्डर पेट्रोलिंग व्हीकल है.
7. रात 9:00 बजे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नाइट विजन के साथ बॉर्डर पेट्रोलिंग
अब सूरज ढल चुका है हालांकि पश्चिमी सीमा होने के कारण गुजरात में पूर्वी राज्यों की तुलना में 2 घंटे के बाद ही रात होती है. रात होने के बाद नाइट विजन के साथ बीएसएफ के कमांडो अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गश्त लगाते हुए नजर आ रहे हैं और इनके साथ ही न्यूज़ नेशन की टीम भी भारत पाक बॉर्डर यानी अग्निपथ पर अग्रसर है.
8. रात 12 बजे महिला कमांडो के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गश्त
बॉर्डर कमांडो 6 घंटे तक बॉर्डर पेट्रोलिंग करते हैं. उसके बाद उन्हें 12 घंटे का आराम दिया जाता है, लिहाजा सुबह के समय जो सीमा प्रहरी यानी महिला कमांडो मौजूद थी अब देर रात में ड्यूटी पर वापस आ गई है. वह पुरूष कमांडो के साथ कदमताल कर रही है. बीएसएफ में महिला और पुरुष जवानों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाता. यही वजह है कि भवानी और दुर्गा के रूप में महिला सीमा प्रहरी हर प्रहर में सीमाओं की सुरक्षा के लिए तत्पर है.
9. रात 2:00 बजे डॉग स्क्वाड के साथ सांप और बिच्छू के बीच रण के नमकीन रेगिस्तान में पेट्रोलिंग
दिन के समय जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच जाता है वहीं रात के समय नमक के रेगिस्तान का तापमान जीरो डिग्री तक गिर जाता है, लेकिन रात के इस वक्त में भी डॉग स्क्वायड के साथ सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी भारतीय क्षेत्र में नमक के रेगिस्तान यानी पूरी तरह बंजर बीहड़ इलाके में गश्त लगा रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आसपास कोई अवैध गतिविधि तो नहीं है, क्योंकि यहां से करीबी इंसानी बस्ती तकरीबन 40 किलोमीटर दूर है.
10. सुबह 4:00 बजे बॉर्डर ऑब्जरवेशन पोस्ट से पाकिस्तान पर निगाहें
न्यूज़ नेशन की टीम को सीमा प्रहरियों के साथ काम करते करते लगभग 24 घंटे पूरे हो गए हैं. सुबह के 4:00 बजे हैं लेकिन जैसे गुजरात में अंधेरा 2 घंटे बाद होता है वैसे ही सूर्य उदय पूर्वी भारत की तुलना में 2 घंटे बाद ही होता है. यही वजह है कि अभी गुजरात के क्षेत्र में रात बाकी है और हम बीएसएफ के सीमा प्रेमियों के साथ ऑब्जरवेशन पोस्ट पर मौजूद थे. जहां चार जवान नाइट विजन के साथ असाल्ट राइफल लेकर पाकिस्तान की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे.
Source : Rahul Dabas