केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की अगुवाई में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने 13165 करोड़ के सैन्य साजोसामान और उपकरण की खरीद को मंजूरी दी है. इसमें से 87 फीसदी यानी करीब 11486 करोड़ रुपये की खरीद स्थानीय स्रोतों से की जाएगी. जिन सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए मंजूरी दी है उनमें 25 आधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और रॉकेट के लिए गोला-बारूद शामिल है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इन हेलिकॉप्टर्स की कीमत करीब 3850 करोड़ रुपए आंकी गई है. वहीं रॉकेट और गोला-बारूद की खरीद पर 4962 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. काउंसिल की बैठक में तय हुआ कि कुल खरीद में से 11486 करोड़ के उपकरण और सैन्य प्लेटफॉर्म स्वदेशी कंपनियों से लिए जाएंगे.
इससे पहले बीते सप्ताह रक्षा मंत्रालय ने 56 ‘सी-295’ मध्यम परिवहन विमानों की खरीद के लिए स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ करीब 20,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. ये विमान भारतीय वायु सेना के एवरो-748 विमानों का स्थान लेंगे. सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की एक समिति ने लंबे समय से अटके इस सौदे को मंजूरी दी थी. इस सौदे के तहत अनुबंध पर हस्ताक्षर के 48 महीनों के भीतर एयरबस डिफेंस एंड स्पेस उड़ान में सक्षम 16 विमानों को सौंपेगी. बाकी के 40 विमानों का निर्माण भारत में किया जाएगा.
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विमानों का निर्माण देश में ही एचएएल द्वारा बाई इंडियन श्रेणी में किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि राकेटों के कलिए 4962 करोड़ रुपये के गोला बारुद की घरेलू खरीद को भी मंजूरी प्रदान की गई है. मंत्रालय ने कहा कि हेलीकॉप्टर खरीदने की लागत 3,850 करोड़ रुपये आंकी गई है. वहीं रॉकेट के गोला-बारूद की एक खेप 4,962 करोड़ रुपये में खरीदी जाएगी. मंत्रालय ने बताया कि इसके साथ ही डीएसी ने रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 के कुछ संशोधनों को भी स्वीकृति दे दी.
नीतियों को बनाया जा रहा आसान
इसी महीने की शुरुआत में खबर आई थी कि भारतीय वायुसेना जल्द ही इमरजेंसी हालात में हवा में ईंधन भरने वाले एयरक्राफ्ट किराए पर ले सकेगी. शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया था कि दरअसल वायुसेना ऐसा नए रक्षा सुधार की वजह से कर सकेगी. माना जा रहा है कि इस फैसले की वजह से इमरजेंसी हालात में भारी-भरकम कागजी कार्रवाई से बचा जा सकेगा. ये वित्तीय शक्ति वायुसेना को रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए नए सुधारों की वजह से मिल रही है.