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कोर्ट ने कहा, ए राजा ने नहीं, PMO के अधिकारियों ने 2G से जुड़े तथ्य मनमोहन सिंह से छुपाए

2 जी मामले में विशेष कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने ए राजा की चिट्ठी का 'सबसे प्रासंगिक और विवादित हिस्से' को छुपाया है।

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pradeep tripathi
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कोर्ट ने कहा, ए राजा ने  नहीं, PMO के अधिकारियों ने 2G से जुड़े तथ्य मनमोहन सिंह से छुपाए
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2 जी मामले में विशेष कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने ए राजा की चिट्ठी का 'सबसे प्रासंगिक और विवादित हिस्से' को छुपाया है। साथ ही कहा है कि तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर को इसके लिये दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

सीबीआई ने कहा था कि ए राजा ने स्पेक्ट्रम लाइसेंस देने से जुड़ी चिट्ठियों में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को गुमराह किया था। सीबीआई ने कहा था कि कई महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व नीति और अंतिम तारीख से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।

स्पेशल सीबीआई जज ओ पी सैनी ने कहा, 'ए राजा ने नहीं बल्कि पुलक चटर्जी ने टीकेए नायर से सलाह लेकर प्रधानमंत्री को भेजी गई ए राजा की चिट्ठी के सबसे प्रासंगिक और विवादित हिस्से को छुपाया था।'

जस्टिस सैनी ने अधिकारियों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, 'अंत में मुझे इस दलील में कोई तथ्य नज़र नहीं आता कि प्रधानमंत्री को ए राजा की तरफ से गुमराह किया गया या फिर उनके सामने तथ्य गलत रखे गए।'

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सेनी ने कहा कि सीबीआई की दलीलें ऐसी थीं ताकि कोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाए।

कोर्ट ने कहा कि ए राजा को मनमोहन सिंह के सामने तथाकथिक तौर पर गलत तथ्य रखने के लिये दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। क्योंकि उनके सामने उनके ऑफिस ने ही पूरा तथ्य नहीं रखा था।

कोर्ट ने पुलक चटर्जी के एक नोट का जिक्र करते हुए कहा कि ये नोट पीएम को भेजी गई ए राजा की चिट्ठी से ज्यादा लंबी थी।

उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री व्यस्त होते हैं। वो कहां से इतनी लंबी चिट्ठी पढ़ेंगे। पीएम फाइलों में व्यस्त नहीं रह सकते हैं। उनके लिये पुलक चटर्जी के नोट से ज्यादा आसान था कि वो ए राजा की चिट्ठी पढ़ लेते।'

ए राजा ने पीएम सिंह को चिट्ठी लिखकर टंलिकॉम विभाग की तरफ से 2जी से जुड़े मुद्दों पर लिये गए फैसलों की जानकारी दी थी। जिसमें कम स्पेक्ट्रम होने की स्थिति में लाइसेंस और आवेदनों से जुड़ी प्रक्रिया के लेटर ऑफ इंटेंट के बारे में जानकारी भी शामिल थी।

कोर्ट ने चटर्जी के नोट का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें सिर्फ स्पेक्ट्रम से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई है और नइ लाइसेंस से संबंधित मुद्दों पर कुछ भी नहीं कहा गया है जिन्हें बदले हुए मानदंडों की स्थिति में जारी किया जाना था। जिसमें सबसे विवादास्पद बदलाव आवेदन की तिथि और भुगतान की तिथि भी शामिल है।

कोर्ट ने कहा कि रेकॉर्ड से ये साफ नहीं है कि प्रधानमंत्री ने नोट को पढ़ा था या नहीं।

उन्होंने कहा, 'हालांकि ये तो साफ है कि पीएमओ से किसी ने नए लाइसेंस जारी करने के लिये टेलिकॉम विभाग को हरी झंडी दिखाई थी। संभवतः खुद पुलक चटर्जी ने, जैसा कि उनके नोट में है कि उन्होंने तत्कालीन टेलिकॉम सेक्रेटरी से बात की थी।'

जज ने कहा कि स्पेक्ट्रम से जुड़े मुद्दों के बारे में सिर्फ अधूरा दृष्टिकोण तत्कालीन प्रधानमंत्री के सामने रखा गया।

उन्होंने कहा, 'टेलिकॉम विभाग ने 10 जनवरी 2008 को 120 एलओआई जारी किये। ऐसे में प्रधानमंत्री को गलत तथ्यों की जानकारी प्रधानमंत्री के कार्यालय के अधिकारियों द्वारा दी गई, न कि ए राजा की तरफ से।'

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Source : News Nation Bureau

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