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2G घोटाले पर कोर्ट के फैसले से गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने पीएम मोदी से की माफी की मांग, बीजेपी का पलटवार

1.76 लाख करोड़ रुपये के कथित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया है कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ था।

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pradeep tripathi
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2G घोटाले पर कोर्ट के फैसले से गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने पीएम मोदी से की माफी की मांग, बीजेपी का पलटवार
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गुजरात में अब तक के सबसे अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के लिये गुरुवार को अच्छी खबर आई। 1.76 लाख करोड़ रुपये के कथित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया है कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ था।

देश का सबसे बड़ा घोटाला माने जाने वाले 2जी स्कैम में पूर्व संचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

लेकिन कोर्ट के इस फैसले से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को काफी राहत मिली होगी। 2जी घोटाले ने उनकी साफ और इमानदार छवि को नुकसान पहुंचाया था और कांग्रेस को इसी मुद्दे पर 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता गंवानी पड़ी थी।

हालांकि इस मुद्दे पर लगातार मनमोहन सरकार को घेरने वाले वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के लिये ये मुद्दा खत्म होता नज़र आ रहा है।

क्या कहा कोर्ट ने-

ए राजा और कनिमोझी के अलावा जज ओ पी सैनी ने शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी, पी अम्रीथम और शरद कुमार को भी बरी कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों ने 'चालाकी' से कुछ तथ्य इकट्ठा किये और उसे घोटाला करार दे दिया, 'जबकि ऐसा नहीं था'।

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स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने कहा, 'अधिकारियों के क्रियाकलापों और निष्क्रियता के कारण किसी ने भी टेलिकॉम विभाग के पक्ष पर विश्वास नहीं किया और पूरे मामले में एक बड़ा घोटाला देखा गया जो कि नहीं था। इन कारणों से लोगों को लगा कि ये बहुत ही बड़ा घोटाला है।'

उन्होंने कहा, 'ऐसे में कुछ लोगों ने कुछ ऐसे तथ्य चालाकी से इकट्ठा किये और चीज़ों को अतिरंजित कर इसे एक बड़ा घोटाला करार दिया।'

बीजेपी-कांग्रेस में जमकर हुई बयानबाजी-

कांग्रेस ने फैसला आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि 2जी घोटाला एक साजिश थी, जिसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक विनोद राय के साथ मिलकर रचा था।

उन्होंने कहा, 'झूठ के काले बादल छंट गए। सीबीआई अदालत ने साबित किया कि सत्य की जीत हुई। मोदीजी, बीजेपी, विनोद राय ने साजिश रची जिसे बेनकाब कर दिया गया। क्या वह सभी देश से माफी मांगेंगे।' 

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राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिस घोटाले के आरोप के कारण हमें विपक्ष में बैठना पड़ा, वह घोटाला वास्तव में हुआ ही नहीं।

उन्होंने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जवाब की मांग की।

फैसले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद यह बात साबित हो गई है कि यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के खिलाफ बड़े पैमाने पर बिना किसी सबूतों के आधार पर प्रोपेगेंडा चलाया गया।

अदालत के फैसले के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, 'कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। मुझे खुशी है कि अदालत में यह बात साबित हो चुकी है कि यूपीए के खिलाफ जो प्रोपेगेंडा चलाया गया वह बिना किसी आधार के था।'

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मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में ही इस कथित घोटाले का पर्दाफाश हुआ था।

कांग्रेसी सांसद कपिल सिब्बल ने तत्कालीन सीएजी विनोद राय से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि मैंने तब भी कहा था कि देश में कोई घोटाला नहीं हुआ था।

उन्होंने कहा, 'विनोद राय को भी माफी मांगनी चाहिए। मैं कभी यू-टर्न नहीं लेता। कोई घोटाला नहीं हुआ था और कोई नुकसान नहीं हुआ था।'

विपक्ष के हमलावर होने के बाद सरकार ने कांग्रेस पर पलटवार किया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान लाइसेंस आवंटन में भ्रष्टाचार हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को गलत माना था।

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उन्होंने कहा, 'लाइसेंस आवंटन के लिए यूपीए सरकार का तरीका भ्रष्ट और बेईमानी भरा था, और 2012 में यह बात सुप्रीम कोर्ट में साबित हो चुकी है।'

उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता इस फैसले को प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं और ऐसा लग रहा है मानो इस बात पर मुहर लग गई है कि उनकी नीति सही थी।

कोर्ट ने कहा, कुछ लोगों ने चालाकी से 2G को घोटाला करार दिया, जबकि ऐसा नहीं था

वित्त मंत्री जेटली कहा, '2007-08 में स्पेक्ट्रम आवंटन उस वक्त की बाजार कीमतों के आधार पर नहीं किया गया। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2001 की कीमतों के आधार पर लाइसेंस आवंटित किए। आवंटन नीलामी के जरिए नहीं बल्कि पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया गया और जाहिर तौर पर इसमें निजी हितों को तरजीह दी गई।'

उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस फैसले को प्रमाण पत्र नहीं मानना चाहिए क्योंकि जीरो लॉस की थ्योरी पहले ही रद्द की जा चुकी है।

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Source : News Nation Bureau

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