करीब 33 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था की सुस्ती के रूप में सामने आया है. वहीं 28 प्रतिशत का मानना है कि नोटबंदी का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है. आनलाइन कम्युनिटी मंच लोकल सर्किल्स के सर्वे के अनुसार 32 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के कामगारों की आमदनी का जरिया समाप्त हो गया. सर्वे में देशभर के 50,000 लोगों की राय ली गई है. वहीं नोटबंदी के फायदों के बारे में 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में कर की अपवंचना करने वाले लोगों को कर दायरे में लाया जा सका.
वहीं 25 प्रतिशत का मानना है कि इससे कोई फायदा नहीं हुआ. करीब 21 प्रतिशत लोगों की राय थी कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में कालाधन कम हुआ जबकि 12 प्रतिशत ने कहा कि इससे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ा. उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 8 नवंबर 2016 को अर्थव्यवस्था में उस समय प्रचलन में रहे 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को निरस्त कर दिया था. यह कदम अर्थव्यवस्था में कालेधन को समाप्त करने के इरादे से उठाया गया था.
8 नवंबर साल 2016 को हुई थी नोटबंदी
8 नवंबर 2016 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों आर्मी चीफ और राषट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की और करीब रात 8 बजे देश के नेशनल टेलीविजिन पर ऐलान कर दिया की आज से 500 और 1000 रुपये के नोट नहीं चलेंगे. इन नोटों को गैरकानूनी घोषित कर दिया. भाइयो-बहनो देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से देश को मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है. आज मध्यरात्रि यानी 8 नवंबर 2016 की रात्रि को 12 बजे से देश में चल रहे 500 रुपए 1000 रुपए के करंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे.
ऐसे हुई नोटबंदी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया जाता है एक साल तक रिसर्च और कई बैठकों के बाद ये फैसला लिया गया था. इस काम के लिए हसमुख अढिया समेत 6 लोगों की टीम इस विषय पर काम कर रही थी. सभी रिसर्च के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जिम्मेदारी पर ये कड़ा फैसला लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस सख्त फैसले के लिये करीब ढाई घंटे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इजाजत दी थी. ये बात एक आरटीआई के जरिए पता चली, जब जवाब में आरबीआई ने कहा था कि 500-1000 के नोटों को बंद करने के लिए हमने 5.30 बजे मीटिंग की थी.
Source : भाषा