आजाद भारत में शायद यह पहला मौका होगा जब किसी खास वजह से एक साथ 200 लोगों ने इस्लाम धर्म (Islam) को छोड़कर हिंदू धर्म (Hinduism) को अपना लिया. जी हां यह सच है दरअसल, करीब 350 साल पहले औरंगजेब के समय में जबर्दस्ती और भय की वजह से मुसलमान बने हिंदुओं ने अब एक बार फिर हिंदू धर्म को अपना लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा के गांव बिठमड़ा में डूम जाति की एक बुजुर्ग महिला (80 वर्ष) की मौत के बाद जाति के लोगों ने शव को दफनाने की जगह अंतिम संस्कार किया.
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हिंदू रीति रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शव का अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ किया गया. मृतक महिला फुल्ली देवी के बेटे सतबीर का कहना है कि गांव के 30 परिवार समेत करीब 200 लोगों ने इस्लाम धर्म को त्याग दिया है और एक साथ हिंदू धर्म में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि इसके पहले तक वे अपने यहां किसी की मौत होने पर शव को दफनाया करते थे. सतबीर और मृतक महिला के भतीजे मंदिर खान का कहना है कि औरंगजेब के शासनकाल में हमारे परिवार वालों ने इस्लाम धर्म को ग्रहण कर लिया था. हालांकि हम अभी भी हिंदू धर्म के त्यौहारों को मनाते आ रहे थे.
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उनका कहना है कि इस्लाम धर्म में आने के बाद भी उन्होंने कभी रोजे नहीं रखे और मस्जिद में जाकर नमाज भी नहीं पढ़ा. उनका कहना है कि लोगों को हमेशा भ्रम रहता था कि हम मुस्लिम हैं भी या नहीं. बता दें कि डूम जाति हिंदू जाति में अनुसूचित जाति के तहत आती है. जानकारों का कहना है कि डूम जाति जमींदारों से अनाज लेकर अपना जीवनयापन करती रही है. सतबीर का कहना है कि धर्म परिवर्तन के लिए किसी भी व्यक्ति का उनके ऊपर दबाव नहीं है. डूम समाज के ही रोशनलाल कहते हैं कि हम पहले भी हिंदू ही रहे थे और अब वापस अपने धर्म में आ गए हैं.