राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के चार बेटे थे हरिलाल (Harilal Gandhi) मणिलाल (Manilal), रामदास (Ramdas Gandhi)और देवदास (Devdas Gandhi). चारों बेटों में सबसे बड़े हरिलाल ने वह सब किया, जिससे उनके पिता यानी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को कष्ट पहुंचे. बाकी बचे तीन बेटों में एक को गांधीजी बहुत पसंद करते थे, क्योंकि वो उनके हर आज्ञा का पालन करता था. इनमें से एक ऐसा भा था जिसने अपनी काबिलियत के दम पर पहचान बनाई.
गांधीजी के दोनों बड़े बेटे यानि हरिलाल और मणिलाल (Manilal) भारत में ही पैदा हुए जबकि छोटे दोनों बेटे दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में . हरिलाल और मणिलाल (Manilal) हमेशा गांधीजी से खफा रहते थे. दोनों मानते थे कि गांधी जी ने उन्हें स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई नहीं करने दी.
हरिलाल ने 1911 में उनसे संबंध तोड़कर दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए थे. गांधी एक साथ दो लड़ाई लड़ रहे थे-एक ब्रिटिश सरकार और दूसरी हरिलाल के साथ. एक वह बखूबी जीत गए और दूसरी बुरी तरह हार गए. दरअसल जिस साल हरिलाल का जन्म हुआ, उसी साल कुछ कठिन हालात में गांधी ने बैरिस्टरी के लिए लंदन जाने का फैसला किया. वे शुरुआती तीन साल मां और बच्चे ने किस तरह गुजारे-इसकी कल्पना ही की जा सकती है.
1906-07 में गांधीजी सार्वजनिक जीवन के शिखर पर थे, हरिलाल भी 19 वर्ष के हो गए थे. गुजरात में गांधी परिवार के करीबी वोरा परिवार की बेटी थीं चंचल. हरिलाल ने गांधी की इच्छा के खिलाफ चंचल से शादी का फैसला किया. गांधी नहीं चाहते थे कि वह कम उम्र में शादी करके वही गलती करे, जो उसके माता-पिता ने की. हरिलाल चंचल के साथ दक्षिण अफ्रीका भी गए. गांधी समझ चुके थे कि यह बेटा बहुत जिद्दी है.
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हालांकि मणिलाल कभी विद्रोह को लेकर मुखऱ नहीं हुए. 1915 में गांधी जी के साथ मणिलाल इंडिया आए और वो दो साल बाद ही वापस दक्षिण अफ्रीका चले गए. वहां उन्होंने डरबन (Durban) में गांधीजी के फिनिक्स आश्रम को संभालने के साथ वहां के प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक समाचार पत्र इंडियन ओपिनियन (Indian opinion) का संपादन शुरू किया. 1956 में अपने निधन तक वो यही करते रहे. उन्होंने पिता से दूर दक्षिण अफ्रीका में ही बसने का फैसला कर लिया. मणिलाल एक मुस्लिम लड़की से प्यार करते थे, उससे शादी करना चाहते थे लेकिन इसके लिए ना तो गांधीजी की अनुमति मिली और ना ही कस्तूरबा. बाद में उन्होंने गांधीजी की पसंद की एक लड़की से शादी की.
रामदास थे सबसे प्रिय बेटे
गांधीजी के सबसे प्रिय बेटे नंबर तीन रामदास (Ramdas Gandhi) थे. दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को जब गांधीजी की हत्या हुई तो पिता को मुखाग्नि उन्होंने ही दी थी. रामदास आमतौर पर चुप रहने वाले खुशमिजाज बेटे थे. वह कई बार जेल भी गए. भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी कूदे. बाद में वो परिवार के साथ पुणे में बस गए.
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सबसे छोटे देवदास (Devdas Gandhi) सही मायनों में सबसे पैने और बुद्धिमान बेटे थे. उन्होंने गांधीजी का विरोध कभी नहीं किया लेकिन उन्होंने इतनी शिक्षा जरूर हासिल की कि अपनी सूझबूझ को आगे तक ले जा सकें. वो अच्छा लिखते-पढ़ते थे. वो पिता से अपनी बात मनवा लेते थे.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो