सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की एक बेंच तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। इस विवाद को निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की जो बेंच बनाई है उसमें सभी अलग-अलग धर्मों से हैं।
जस्टिस कुरियन जोसेफ ईसाई, आरएफ नरीमन पारसी, यूयू ललित हिन्दू, अब्दुल नजीर मुस्लिम और इस बेंच की अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर सिख हैं।
इस अहम मामले पर सुनवाई करने वाले जज आखिर कौन कौन हैं। आइए हम जानते हैं उन जजों के बारे में।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर
28 अगस्त 1952 में जन्में जस्टिस खेहर चंड़ीगढ़ में सरकारी कॉलेज से साइंस में ग्रैजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1977 में एलएलबी की पढ़ाई की। इसी यूनिवर्सिटी से खेहर ने एलएलएम की भी पढ़ाई की।
साल 1979 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में खेहर ने वकालत शुरू की। जनवरी 1992 में वो पंजाब के एडिशनल जनरल एडवोकेट बने। आठ फरवरी 1999 को वो पंजाब हाई कोर्ट में जज नियुक्त किए गए।
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साल 2009 में वो उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश बने और 2011 सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में जज बने। जिसके बाद चार जनवरी 2017 को वे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश बने।
जस्टिस खेहर तीन तलाक पर अपने रिटायरेंट से पहले सुनवाई पूरी करना चाहते हैं. 28 अगस्त, 2017 को वो रिटायर हो जाएंगे.
जस्टिस कुरियन जोसेफ
30 नवंबर 1953 को केरल में जन्मे जस्टिस कुरियन जोसेफ ने केरल लॉ एकेडमी लॉ कॉलेज से तिरुवनंतपुरम से कानून की पढ़ाई की है। 1977-78 में वो केरल यूनिवर्सिटी में एकेडमिक काउंसिल के सदस्य बने।
1979 से केरल हाई कोर्ट से वकालत की शुरुआत करने वाले कुरियन 1987 में सरकारी वकील बने और 1994-96 तक एडिशनल जनरल एकवोकेट रहे। 1996 में वो सीनियर वकील बने। जिसके बाद 12 जुलाई 2000 को केरल हाई कोर्ट में उन्हें जज बनाया गया।
2006 से 2008 के बीच जस्टिस कुरियन जोसेफ केरल न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष रहे। 2008 में उन्हें लक्षद्वीप लीगल सर्विस अथॉरिटी का अध्यक्ष बनाया गया।
जस्टिस कुरियन 2006 से 2009 तक केरल हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष रहे। वे दो बार केरल हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायधीश भी रहे।
इसके बाद वह आठ फरवरी, 2010 से 7 मार्च, 2013 तक हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के वो मुख्य न्यायधीश रहे। आठ मार्च, 2013 को जस्टिस कुरियन सुप्रीम कोर्ट में जज बने। वह 29 नवंबर, 2018 को रिटायर होंगे।
जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन
जस्टिस आरएफ नरीमन का जन्म 13 अगस्त 1956 को मुंबई में हुआ था. स्कूल की पढ़ाई इन्होंने कैथेड्रल स्कूल मुंबई से की है। जिसके बाद कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से की।
लॉ की पढ़ाई इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से की। हार्वर्ड लॉ ऑफ स्कूल से एलएलएम की पढ़ाई करने वाले जस्टिस नरीमन को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने सर्वोच्च अदालत में सीनियर वकील बनाया था।
इन्हें सीनियर वकील बनाने के लिए जस्टिस वेंकेटचेलैया ने नियमों में संशोधन किया था। जस्टिस नरीमन 45 साल के बजाए 37 साल में ही सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील बन गए थे। सात जुलाई, 2014 को नरीमन सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
जस्टिस यूयू ललित
उदय उमेश ललित का जन्म 9 नवंबर 1957 को हुआ था। 1983 से इन्होंने वकालत की शुरुआत की. जस्टिस ललित ने 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत की।
इसके बाद 1986 में वो वकालत करने दिल्ली आ गए। अप्रैल 2004 में वह सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील बने।
कई मामलों में एमिकस क्यूरी की भूमिका अदा करने वाले जस्टिस ललित को टूजी मामले में सीबीआई के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाया गया था।
टू जी मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था। 13 अगस्त, 2014 को जस्टिस ललित सुप्रीम कोर्ट में जज बने। वो आठ नवंबर, 2022 को रिटायर होंगे।
पांच जनवरी 1958 को कर्नाटक में जन्में जस्टिस अब्दुल नजीर ने कर्नाटक हाई कोर्ट से 1983 में वकालत की शुरुआत की थी। कर्नाटक हाई कोर्ट में नजीर को 2003 में अतिरिक्त जज बनाया गया था।
सितंबर 2004 में नजीर कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थायी जज बनाए गए। वो ऐसे तीसरे ऐसे जज हैं जो बिना किसी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे, सुप्रीम कोर्ट के जज बने। इसी साल फरवरी में जस्टिस नजीर को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया है।
Source : Abhiranjan Kumar