मध्य जुलाई में पूर्वी गलवान घाटी (Galwan Valley) में हुई हिंसक झड़प के बाद उपजे तनाव को दूर कर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति बरकरार रखने के लिए भारत-चीन (India-China) के बीच कूटनीतिक से लेकर सैन्य स्तर तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है. इसके बावजूद शांति बहाली और संबंधों को बनाए रखने की पक्षधरता कर रहा चीन (China) अपनी कुटिल चालों से बाज नहीं आ रहा है. एलएसी के कई प्वाइंट्स पर तो वह पीछे हट चुका है, लेकिन पैंगोंग क्षेत्र (Pangong Tso) में चीनी सेना पीछे नहीं हटी है. इसके अलावा अक्साई चीन (Aksai Chin) में भी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 50 हजार सैनिक फिलवक्त तैनात हैं. ड्रैगन की चालबाजी को देखते हुए भारत (India) ने भी पहली बार मिसाइल दागने में सक्षम टी-90 टैंक्स (T-90 Tanks) की एक स्कवॉड्रन तैनात कर दी है. साथ ही अन्य सैन्य साज-ओ-सामान भी अच्छी संख्या में पहुंचा दिए हैं ताकि चीन की किसी भी कुटिलता और आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.
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दौलत बेग ओल्डी में 4 हजार भारतीय सैनिक तैनात
सैन्य प्रतिष्ठान से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी सहित कई इलाकों से पीछे हटने को मजबूर हुए चीन ने अक्साई चिन में पीएलए में अभी भी करीब 50 हजार सैनिकों को तैनात कर रखा है. चीन की नई चालबाजी और आक्रामकता का जवाब देने के लिए भारत ने पहली बार मिसाइल फायर करने वाले टी-90 टैंक्स का स्क्वॉड्रन यानी दर्जन भर टैंक्स तैनात कर दिए हैं. इसके अलावा सैनिकों को ले जाने वाले बख्तरबंद वाहनों और फुल ब्रिगेड यानी 4 हजार सैनिकों को दौलत बेग ओल्डी (DBO) पर तैनात किया है ताकि शक्सगाम काराकोरम पास एक्सिस से किसी चीनी आक्रामकता को रोका जा सके.
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काराकोरम के पास ही दौलत बेग ओल्डी
गौरतलब है कि दौलत बेग ओल्डी में भारत का आखिरी आउटपोस्ट 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जो काराकोरम पास के दक्षिण में और चिप-चाप नदी के किनारे है. यह गलवान श्योक संगम के उत्तर में है. चूंकि दरबुक-श्योक-डीबीओ रोड पर कई पुल 46 टन वजनी टी-90 टैंक्स का भार सहन नहीं कर सकते हैं इसलिए सेना ने गलवान घाटी हिंसा के बाद विशेष उपकरणों के जरिए इन्हें नदी-नालों के पार भेजा. पेट्रोलिंग पॉइंट्स 14, 15, 16, 17 और पैंगोंग त्सो फिंगर एरिया में चीनी आक्रामकता के बाद सेना ने आर्मर्ड पर्सनल कैरियर्स (एपीसीएस) या इन्फेंटरी कॉम्बैट व्हीकल्स, एम 777 155एमएम होवित्जर तोप और 130 एमएम गन्स को पहले ही डीबीओ भेज दिया था.
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अक्साई चीन में पीएलए के मूवमेंट पर भारत की नजर
कई दौर की बातचीत के बाद भारत और चीन ने पहले पूरी तरह पीछे हटने और फिर सैनिकों की संख्या घटाने का फैसला किया है. इस बीच भारतीय सेना अक्साई चिन में पीएलए के टैंकों, एयर डिफेंस रडार और जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइलों की तैनाती पर नजर रख रही है. नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कमांडर्स ने बताया कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया चलने के साथ दोनों पक्ष एक दूसरे के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं.
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दौलत बेग ओल्डी में लैंडिंग ग्राउंड भी तैयार
भारतीय सेना ने डीबीओ में अडवांस लैंडिंग ग्राउंड को तैयार रखने का फैसला किया है. इस इलाके में टैंक्स को तैनात करने का फैसला उत्तर से अचानक चीनी सेना के मूवमेंट को रोकने के लिए किया गया है. चीन शक्सगाम घाटी में पहले ही 36 किलोमीटर सड़क बना चुका है. 5163 स्क्वॉयर किलोमीटर जमीन पाकिस्तान ने अवैध रूप से चीन को दे दी थी. भारतीय सेना के लिए प्लानिंग करने वालों को आशंका है कि चीन जी-219 (ल्हासा कशगार) हाईवे को शक्सगाम पास के जरिए काराकोरम पास से जोड़ देगा. हालांकि, इसके लिए शक्सगाम ग्लेशियर के नीचे सुरंग बनाने की जरूरत होगी, लेकिन चीन के पास इसे अंजाम देने की तकनीकी क्षमता भरपूर है.
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चीन की यह है कुटिल चाल
आशंका यह है कि एक बार यह लिंक तैयार हो जाने के बाद चीनी सेना डीबीओ पर उत्तर से दबाव डालेगी, क्योंकि इसे रोड पर भारतीय सेना को लक्ष्य से रोकने के लिए बफर की जरूरत है. सैन्य कमांडर्स के मुताबिक, इस गर्मी पीएलए की आक्रामकता का मुख्य उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में 1147 किलोमीटर लंबी सीमा पर भारतीय सेना के साथ संघर्ष वाले स्थानों को खाली करना था ताकि वह 1960 के नक्शे को लागू कराने का दावा कर सके, लेकिन इस कोशिश को 16 बिहार रेजिमेंट के जांबाजों ने 15 जून को विफल कर दिया.
HIGHLIGHTS
- अक्साई चीन में पीएलए के 50 हजार सैनिक तैनात.
- जवाब में भारत ने काकाकोरम में तैनात किए टी-90 टैंक्स.
- दूर तक मार करने के अलावा मिसाइल दागने में भी सक्षम हैं.