केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने एक समारोह में बिजली क्षेत्र में हो रहे कई बदलाव की अहम जानकारी दी. उन्होंने कहा 'बीते कुछ वर्षों में बिजली क्षेत्र में व्यापक बदलाव हुए हैं. पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़ा है. स्मार्ट मीटर परियोजना, मीटर रीडिंग ऑटोमेशन 2.90 करोड़ घरों में समय पर बिजली बिल भेजने के लिए शुरू किया गया था. स्मार्ट मीटर को बढ़ाने को लेकर बिजली व्यवस्था के डिजिटलीकरण, ऑटोमेशन और दक्षता में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ हमारा यह भी विजन है कि भविष्य में बिजली के सभी मीटर स्मार्ट प्रीपेड मीटर हों.
उन्होंने कहा कि प्रीपेड मीटरिंग से डिस्कॉम के संचालन से वित्तपोषण की लागत घटती है. इससे डिस्कॉम के वित्तीय बोझ में काफी कमी आएगी. स्मार्ट मीटर बिजली की लागत को 2-2.5 प्रतिशत तक घटाने सहायता करेगा.' ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ओर से, इंटेलिस्मार्ट के साथ मिलकर, आयोजित किए गए ‘नेशनल डायलॉग ऑन स्मार्ट मीटर्ड इंडिया फॉर अ डिजिटलाइज्ड एंड पीपुल-सेंटरिक पॉवर सेक्टर’ को संबोधित किया.
हम उपभोक्ताओं के अधिकारों पर विशेष ध्यान दे रहे
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, ' वे उपभोक्ताओं के अधिकारों पर खास ध्यान दे रहे हैं. इसे सुनिश्चित करने के लिए एक उपभोक्ता शिकायत निवारण व्यवस्था भी तैयार की है. इससे समस्याओं का समय पर निदान हो सकेगा. बिजली व्यवस्था के सभी भागों में अब जवाबदेही को अहमियत रखी जाएगी.' उन्होंने भारत के स्मार्ट मीटर बदलावों में घरेलू मीटर निर्माताओं की भूमिका ज्यादा जोर दिया. स्मार्ट मीटर की कीमतों को कम रखने का सुझाव दिया. केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने सीईईडब्ल्यू की स्टडी ‘इनेबलिंग अ कंज्यूमर सेंट्रिक स्मार्ट मीटरिंग ट्रांजिशन इन इंडिया’ को जारी कर दिया. ब्लूमबर्ग फिलेंथ्रोपीज और मैकअर्थर फाउंडेशन समर्थित सीईईडब्ल्यू के इस अध्ययन में ये पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत स्मार्ट मीटर उपयोगकर्ताओं ने बिजली बिलिंग और भुगतान पर संतोष जताया है. अपने मित्रों और रिश्तेदारों को भी प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का सुझाव दिया.
स्मार्ट मीटर को लेकर सिर्फ 20 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ही असंतोष जताया. वहीं 20 फीसदी उपभोक्ता स्मार्ट मीटर के बारे में कुछ कहने को तैयार नहीं थे. सर्वेक्षण में शामिल 92 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर को लगवाने में किसी तरह की दिक्कत न आने की बात कही. वहीं लगभग 50 प्रतिशत बिजली उपभोक्ताओं ने बयान दिया कि स्मार्ट मीटर लगने से बिलिंग में सुधार आया है. भारत में बिजली के 55 लाख (5.5 मिलियन) स्मार्ट मीटर लगे हैं. इनमें 97 प्रतिशत स्मार्ट मीटर 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद हैं.
रोजगार पैदा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा
ऊर्जा मंत्रालय सचिव आलोक कुमार ने कहा कि उपभोक्ताओं के लिहाज से स्मार्ट मीटरिंग बहुत अहम है. गलत बिजली बिल जारी करना अभिशाप है. प्रीपेड मीटरिंग के जरिए इस समस्या का हल किया जा सकता है. अगर उपभोक्ता संतुष्ट होंगे तो बिजली से जुड़ी सेवाओं के लिए भुगतान करेंगे. यह एक क्रांति है.” आरईसी लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) विवेक कुमार देवांगन ने कहा कि स्मार्ट मीटर, बिजली क्षेत्र के सुधारों के लिए गेम चेंजर है. स्मार्ट मीटर के जरिए मिलने वाला रियल-टाइम डेटा भारत के ग्रिड के बेहतर प्रबंधन और इसकी स्थिरता को बेहतर बनाने में मददगर होगा. इससे रोजगार पैदा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा.”
सर्वेक्षण में असम में स्मार्ट मीटर से संतुष्ट बिजली उपभोक्ताओं की भागीदारी सबसे अधिक है. यह 90 प्रतिशत है. वहीं, बिहार में स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं के बीच स्मार्ट मीटर ऐप से जुड़ी जागरूकता काफी ज्यादा है. यह 80 प्रतिशत है. ये उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर से जोड़ने के लिए चलाए गए खास अभियान का नतीजा है.
देश के ऊर्जागत परिवर्तन में सक्रिय भागीदार बनाएगा
सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ.अरुणाभा घोष के अनुसार, “स्मार्ट मीटर को सभी बिजली कनेक्शनों से जोड़ने का भारत का यह महत्वाकांक्षी अभियान है. इससे न केवल उपभोक्ताओं को देश के ऊर्जागत परिवर्तन के खास भागीदार निभाएंगे, बल्कि डिस्कॉम की वित्तीय सेहत में बेहतरी आएगी. स्मार्ट मीटर और उसके मोबाइल ऐप को लेकर उपभोक्ता का भरोसा बढ़ाने को लेकर जागरूकता अभियान को बढ़ावा अहम होगा.”
सीईईडब्ल्यू के अध्ययन ने स्मार्ट मीटर लगाने के राष्ट्रीय अभियान के सामने आने वाली दिक्कतों को भी उजागर किया गया है. डिजिटल साक्षरता की कमी और स्मार्ट मीटर ऐप के बारे में सीमित जानकारी की वजह से कई उपभोक्ता बिल के लिए केवल एसएमएस पर आश्रित रहते हैं. इससे उन्हें बिजली बिल के कई विवरणों की जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है. इस वजह से 70 प्रतिशत उपभोक्ता चाहते हैं कि उन्हें बिल की प्रिंटेट कॉपी मिले. इसके साथ लगभग 12 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि स्मार्ट मीटर से बिजली बिल का भुगतान कठिन हो सकता है. इसके लिए वक्त पर रिचार्ज करने में विफल होने पर डिस्कनेक्शन होने का भय है. नगदी उपलब्ध न होने के कारण डिजिटल भुगतान में परेशानी जैसे कई वजहें शामिल हैं.