गांधी जयंती के अवसर पर देश भर की करीब 150 जेलों में बंद सजायाफ्ता मुजरिमों में से 600 सजायाफ्ता कैदियों को रिहा किया जा रहा है. इन सभी कैदियों को गांधी जयंती पर आम-सजा-माफी योजना के तहत सलाखों से बाहर लाया जा रहा है. मौत की सजा पाए, हत्या या फिर बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में सजायाफ्ता मुजरिमों को इस लाभ से वंचित रखा गया है. योजना से लाभांवित महाराष्ट्र राज्य की 10 जेलों में बंद 70 मुजरिम अभी कुछ और दिन जेल की सलाखों में ही कैद रहेंगे. इसी तरह तिहाड़ जेल में बंद 5 में से 3 कैदियों को ही बुधवार को रिहा किया गया. हर साल की तरह इस साल भी गांधी जयंती के मौके पर, देश के सभी राज्यों की जेलों से करीब 600 कैदी इस विशेष सजा-माफी-योजना के लिये चयनित किये गये थे.
योजना के तहत छोड़े जाने से पहले सभी जेलों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड-दिशा निदेशरें का अनुपालन करना प्राथमिकता में होता है. योजना के तहत मुजरिमों के चयन में, इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि, जाने-अनजाने मौत की सजा पाये, हत्या या फिर बलात्कार का कोई सजायाफ्ता मुजरिम इस लाभकारी योजना का लाभ न उठा ले. योजना के तहत ही इस बार महाराष्ट्र सरकार ने इस बार राज्य की जेलों में बंद ऐसे 70 मुजरिमों को गांधी जयंती के अवसर पर छोड़ने का ऐलान किया था. इन सभी को बुधवार को जेलों से बाहर आना था. इसी बीच राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई. लिहाजा चुनाव आचार संहिता लगते ही अब, इस योजना के लाभांवित मुजरिमों को जेल से रिहा नहीं किया जा सकेगा.
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उधर इस मौके पर एशिया की सबसे बड़ी और सुरक्षित समझी जाने वाली दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में कैद तीन सजायाफ्ता मुजरिमों को बुधवार को रिहा किया जा रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने 5 मुजरिमों को तिहाड़ से बाहर लाने की सिफारिशों पर मुहर लगा दी थी. इन 5 में से 2 कैदियों को बुधवार यानि गांधी जयंती के शुभ अवसर पर तिहाड़ से रिहा नहीं किया जा सका. तिहाड़ जेल महानिदेशक संदीप गोयल ने आईएएनएस को बताया, "दरअसल बुधवार को जिन दो कैदियों की रिहाई नहीं हो पायी, उनमें से एक के ऊपर एक लाख और दूसरे मुजरिम के ऊपर 50 हजार रुपये का आर्थिक दंड लंबित है."
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तिहाड़ जेल महानिदेशक गोयल ने आगे कहा, "गांधी जयंती के अवसर पर तिहाड़, मंडोली और रोहिणी (दिल्ली राज्य की सभी 16 जेल) जेलों में कैदियों के बीच खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. इस अवसर पर महिला जेल सहित सभी जेलों में बंद कैदियों ने रंगारंग सांस्कृति कार्यक्रमों के आयोजन में भी हिस्सा लिया. सभी खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तिहाड़ जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी में संपन्न हुआ."
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HIGHLIGHTS
- हर साल गांधी जयंती पर रिहा किए जाते हैं कैदी
- गंभीर अपराध वाले कैदियों की नहीं होती रिहाई
- गांधी जयंती पर जेलों में हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम