'आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।' कश्मीर से कन्याकुमारी तक, सियाचीन की बर्फीली पहाड़ियों से लेकर रेगिस्तान की तपती रेत तक। आज के दिन यानि गणतंत्र दिवस के अवसर पर शान से तिरंगा लहराता है। लेकिन क्या आप जानते हैं तिरंगे का इतिहास क्या है?
पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक कोलकाता में फहराया गया। इस झंडे में केसरिया रंग सबसे उपर, बीच में पीला, और सबसे नीचे हरे रंग का इस्तेमाल किया गया था।
दूसरा ध्वज 1908 में भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया, इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था।
तीसरा ध्वज, 1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक निश्चित ध्वज निर्माण करने का फैसला किया। इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां थीं
पहला गैर आधिकारिक ध्वज 1921 में विजयवाड़ा में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान इस झंडे का इस्तेमाल किया गया, ये झंडा यह दो रंगों का बना था- लाल और हरा। इस झंडे पर गांधी के चरखे का भी निशान था।
और पढ़ें: भारत दिखाएगा दुनिया को अपनी सैन्य ताकत, अबू धाबी के प्रिंस हैं समारोह के मुख्य अतिथि
1931 में फिर झंडे में बदलाव किए गए, इस बार इसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी जोड़ी गई, साथ ही इसमें अशोक चक्र का भी इस्तेमाल किया गया... जिसके बाद राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को 1947 में संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया।
भारतीय तिंरगा अपने में कई खासियत भी समेटे हुए है
राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की पट्टियां है। जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। तीनों रंग की पट्टियां एक समान लंबाई और चौड़ाई की है। सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का चक्र है। ये चक्र अशोक की राजधानी सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इस चक्र का व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
और पढ़ें: आपके दिल को छू लेंगे ये 11 देशभक्ति के गाने...
भारतीय झंडे को बनाते हुए हर रंगों का विशेष ख्याल रखा गया। पहली पट्टी जो कि केसरिया रंग की है, वो देश की शक्ति और साहस का प्रतीक है। बीच में सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। सबसे निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
तिरंगे के बीच में 24 तीलियों वाला अशोक चक्र जीवन के गतिशीलता को दिखाता है। 1947 से लेकर आज तक इस तिरंगे की आन, बान और शान बरकरार है। इसकी ओर आंख उठा कर देखने की हिमाकत आज कोई नहीं कर सकता।
Source : News Nation Bureau