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आज़ादी के 70 साल: औद्योगिक विकास ऐसा कि भारतीयों ने किया विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण

पिछले दस साल की ही बात करें तो कई भारतीय उद्योगपतियों ने विदेश की बड़ी कंपनियों को खरीदा है।

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pradeep tripathi
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आज़ादी के 70 साल: औद्योगिक विकास ऐसा कि भारतीयों ने किया विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण
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आजादी के बाद भारत ने औद्योगिक क्षेत्र में काफी विकास किया है। सिर्फ विकास ही नहीं बल्कि उन्होंने विदेशी कंपनियों को भी खरीदा है और कई तो ऐसी विदेशी कंपनियां रही हैं जो घाटे में रही हैं और उन्हें खऱीदकर भारतीय उद्योगपतियों ने उन्हें फायदे में लाया है।

भारत और भारतीय कंपनियां जिन्हें विदेशों में इज्ज़त नहीं मिलती थी अब उनकी महत्वाकांक्षाओं को पर लग गए हैं और किसी भी विदेशी कंपनी को खरीदने के दम रखती हैं।

पिछले दस साल की ही बात करें तो कई भारतीय उद्योगपतियों ने विदेश की बड़ी कंपनियों को खरीदा है। आइये नज़र डालते हैं ऐसी कुछ कंपनियों को जिन्हें भारतीय उद्योगपतियों ने खरीदा है।

1. कोरस ग्रुप (ब्रिटेन)

भारत की सबसे बड़ी कंपनी टाटा स्टील्स ने खरीदा था। 31 जनवरी, 2007 में ये पूरी डील 12.11 बिलियन डॉलर में हुई और इस डील के पहले 9 दौर की बातचीत हुई थी।

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ब्राज़ील की एक कंपनी सीएसएन ने भी इस कंपनी को खरीदने की कोशिश की थी। लेकिन वो सफल नहीं रहा।

इसे भारतीय कंपनी द्वारा अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण माना गया। इस अधिग्रहण के बाद टाट दुनिया का 5वां सबसे बड़ा स्टील उत्पादक बन गया।

2. ज़ैन अफ्रीका

इस कंपनी का अधिग्रहण भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कमपनी भारती एयरटेल ने 2010 में किया। भारती एयरटेल भारत के बाहर भी अपना बेस बढ़ाना चाहती थी। भारती ने अफ्रीका में इस कंपनी के ऑपरेशंस के अधिकार खरीद लिये थे।

3. नोवेलिस (अमेरिका)

इस अमेरिकी कंपनी का अधिग्रहण आदित्य बिड़ला ग्रुप ने किया। अटलांटा में स्थित इस कंपनी को बिड़ला ने 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदा।

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एल्यूमिनियम का उत्पादन करने वाली ये कंपनी एलकान से अलग हो गई थी। इसके बाद ये घाटे में चल रही थी। 11 फरवरी 2007 में इसका अधिग्रहण कर लिया गया।

4. इंपीरियल एनर्जी

निजी कंपनियां ही नहीं बल्कि पब्लिक सेक्टर की कंपनियों ने भी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया है। ओएनजीसी ने 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर में इस डील को सील किया था।

5. जागुआर लैंड रोवर

लग्ज़री कार बनाने वाली दुनिया की नामी कंपनी का टाटा मोटर्स ने अधिग्रहण किया था। टाटा ने इसे 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में फोर्ड से 2008 में खरीदा था।

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यह कंपनी घाटे में चल रही थी और ये बंद होने के कागार पर थी। लेकिन टाटा मोटर्स के खरीदने के बाद पूरी दुनिया में इसकी कारों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। इस समय कंपनी फायदे में है।

6. हॉनिटन एनर्जी होल्डिंग्स (चीन)

चीन की इस कंपनी को भारत की तांती ग्रुप ने बहरीन के बैंक अर्कापिता बैंक के साथ मिलकर इसका अधिग्रहण किया। इस संयुक्त अधिग्रहण को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में तय किया गया। जिसके माध्यम से चीन में 1650 मेगावाट का प्लांट लगाया जाएगा।

7. एबट प्वांइंट कोल टर्मिनल (ऑस्ट्रेलिया)

इस कंपनी का भारत की अडानी ग्रुप ने 2 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया। ऑस्ट्रेलिया की इस कोल कंपनी का अधिग्रहण 2011 में किया गया। अडानी ग्रुप का ये अबतक का सबसे बड़ा अधिग्रहण था।

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अडानी भारत का सबसे बड़ा कोल आयतक कंपनी है।

8. एल्गोमा स्टील (कनाडा)

एस्सार स्टील ग्लोबल ने कनाडा की एल्गोमा स्टील का अधिग्रहण किया। यह डील 1.85 बिलियन कनाडियन डॉलर में हुई। ओंटारियो की इस कंपनी को अधिग्हरण करने से पहले इसके शेयर होल्डरों से उनका मत लिया गया।

9. मिनसोता स्टील

इस अमेरिकी कंपनी का भी अधिग्रहण एस्सार स्टील ने ही किया है। यह 1.4 बिलियन टन स्टील उत्पादन की क्षमता है। एस्सार ने इसे 1.65 बिलियन अमेरिकी डालर में खरीदा।

10. मार्सेलस शेल (अमेरिका)

इस कंपनी का अधिग्रहण रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने किया। प्राकृतिक गैस का उत्पादन करने वाली इस कंपनी की डील 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर में हुई। इसके साथ ही रिलायंस दुनिया की ऐसी कंपनी बन गई जो अमेरिका में तेल और गैस की ज़रूरतों के मद्देनज़र वहां पर काम करने की इच्छा दिखाई है।

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इसे रिलायंस ने एटलस एनर्जी से खरीदा था।

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Source : News Nation Bureau

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