आजादी के 70 साल: कल्पना चावला से सुनीता विलियम्स और अमर्त्य सेन तक, ये हैं देशी दिल वाले विदेशी हीरो

ये दुनिया में जहां भी हैं, भारतीयों की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। फिर चाहें कल्पना चवला हों, सुनिता विलियम्स , अमर्त्य सेन या फिर हरजीत सिंह सज्जान।

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vineet kumar
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आजादी के 70 साल: कल्पना चावला से सुनीता विलियम्स और अमर्त्य सेन तक, ये हैं देशी दिल वाले विदेशी हीरो
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भारत ने 1947 में मिली आजादी के बाद कई क्षेत्रों में अलग पहचान बनाई। बात अंतरिक्ष की हो या फिर विज्ञान प्रौद्योगिकी की, एक नया मुकाम हासिल किया। लेकिन इस सफर में उन भारतीय लोगों को भी याद करना चाहिए जो बसते तो विदेशों में हैं लेकिन उनका नाता जरूर भारत से रहा है।

वे दुनिया में जहां भी हैं, भारतीयों की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। फिर चाहें कल्पना चवला हों, सुनिता विलियम्स , अमर्त्य सेन या फिर बॉबी जिंदल, इनकी एक पहचान ये भी है कि यह सभी भारतीय हैं। आईए, जानते हैं ऐसे ही कुछ भारतीयों के बारे में....

कल्पना चावला: भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री रहीं कल्पना का जन्म 17 मार्च को हरियाणा के करनाल में हुआ था। आज वह इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उन्होंने भारत की कई बेटियों को कुछ कर गुजरने की ताकत दे दी।

करनाल से स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद कल्पना उन्होंने 1982 में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चली गईं।

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कल्पना सहित पूरे भारत के लिए एतिहासिल पल वह रहा जब नासा ने उन्हें सात अंतरिक्षयात्रियों सहित अपने मिशन के लिए चुना। कल्पना की मौत स्पेश शटल के धरती पर लैंड करने से ठीक 16 मिनट पहले दुर्घटनाग्रस्त होने से हुई। तत्कालिक राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने तब कहा था कि अमेरिका को भी भारत की तरह हमेश कल्पना पर गर्व रहेगा।

बॉबी जिंदल: इनका असली नाम पीयूष जिंदल है। जिंदल का जन्म बैटन रूज, लुईजियाना में एक प्रवासी पंजाबी भारतीय परिवार में हुआ था। 1970 में उनके पिता भारत छोड़कर अमेरिका चले आए थे।

अमेरिका के लुइजियाना राज्य के गवर्नर रहे जिंदल ने दो साल पहले रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में उतरने का ऐलान किया था। यह और बात है कि इस पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप बाजी मार ले गए।

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वह 2001 से 2003 तक तत्कालिक अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के शासन में हेल्थ और ह्यूमन सर्विस विभाग के सचिव रहे। जिंदल अमेरिकी राजनीति में खास दखल रखते हैं।

स्वराज पॉल: भारत में जन्में और ब्रिटिश बिजनेसमैन स्वरा ज पॉल आज ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों में शामिल हैं। केपारो समूह की स्थापना करने वाले स्वराज पॉल की दुनिया भर में 40 कंपनियां और और इनमें करीब 10 हजार लोग कार्यरत है।

इनका सलाना टर्नओवर एक अरब पाउंस से भी ज्यादा है। 45 साल पुराना यह समूह हालांकि घाटे और दिवालिया होने की कगार पर खड़े होने संबंधित खबरों के कारण सुर्खियों में था। इन सबके बावजूद पंजाब में जन्मे स्वराज पॉल के ब्रिटेन जाने और वहां अपनी मेहनत से नया मुकाम कायम करने को नकारा नहीं जा सकता।

सुनीत विलियम्स: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। वह अमेरिकी नौसेना में अधिकारी हैं।

सुनीता अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला हैं। वो अब तक अंतरिक्ष में 300 से ज्यदा दिन रहने का रिकॉर्ड बना चुकी हैं। यही नहीं, सुनीता अंतरिक्ष में 44 घंटे से ज़्यादा देर तक स्पेस वॉक कर चुकी हैं।

सुनीता विलियम्स का जन्म अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में 19 सितंबर, 1965 में हुआ था। उनके पिता डॉ दीपक पंड्या सन 1964 में भारत से अमेरिका चले गए थे।

हरजीत सिंह सज्जान: कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जान का ताल्लुक पंजाब से है। उनका जन्म पंजाब के होशियारपुर में 1970 हुआ। बाद में उनक परिवार कनाडा चला गया।

उदारवादी विचारधारा के सज्जान ने पहली बार 2015 में चुनाव लड़ा और संसद पहुंच गए। वह कनाडा के पहले सिख रक्षा मंत्री हैं। राजनीति से पहले सज्जान कनाडा के सशस्त्र बल से जुड़े रहे और पुलिस डिपार्टमेंट के लिए बतौर जासूस भी काम किया।

सलमान रश्दी: आप इसे विवाद कह लीजिए या फिर कुछ और, भारतीय मूल के इस लेखक की कहानियों ने हमेशा समाज को झकझोरा है। 'द सैटेनिक वर्सेज' उनकी सबसे विवादित किताबों में से एक है, जिसके कारण उनके खिलाफ कई फतवे जारी हुए। यहां तक कि जान से मारनमे तक कि धमकी भी मिली। सलमान का जन्म 19 जून, 1947 को मुंबई में हुआ था।

सलमान ने पहला उपन्यास 'ग्राइमल' 1975 में लिखा। इसे ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली। लेकिन अपने अगले उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' (1981) ने उन्हें रातों-रात पहचान दिला दी।

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इसके लिए उन्हें 1981 में बुकर सम्मान मिला। इसके बाद उन्होंने 'शेम' (1983), 'द जगुआर स्माइल' (1987), 'द सैटेनिक वर्सेज' (1988), 'ईस्ट-वेस्ट' (1994), 'द मूर्स लास्ट साई' (1995), 'द ग्राउंड बिनीथ हर फीट' (1999), जैसी रचनाएं की।

अमर्त्य सेन: नोबेल पुरस्कार जीत चुके भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन वैसे तो 1972 से ही ब्रिटन और अमेरिका में हैं लेकिन उनके भारतीय जुड़ाव से सभी वाकिफ हैं।

1999 में भारत रत्न का पुरस्कार जीतने वाले सेन हालांकि हाल में खुद पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री के लिए विवादों में जरूर रहे। एक बंगाली परिवार से आने वाले सेन लगातार भारत आते रहते हैं और कई प्रोजेक्ट से जुड़ते भी रहे हैं।

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Source : News Nation Bureau

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