भारत बुधवार को अपनी स्वतंत्रता के 71 साल पूरा कर रहा है। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। 1929 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरु द्वारा 'पूर्ण स्वराज' की घोषणा के बाद 1930 से 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा था और यह सिलसिला आजादी मिलने तक चलता रहा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इंग्लैंड काफी कमजोर हो चुका था। ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटेन को 30 जून 1948 तक भारत को सत्ता हस्तांतरण का दायित्व सौंपा था।
दो मुल्क बनने की बात पर देश के अंदर हर जगह हिंसा और मार काट चल रही थी। सी गोपालाचारी ने कहा था कि अगर हम जून 1948 तक का इंतजार करेंगे तो सत्ता हस्तांतरित करने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। इसलिए लॉर्ड माउंटबेटेन ने तय तारीख से पहले अगस्त 1947 में ही सत्ता सौंपने का फैसला किया और कहा कि इससे दंगे और हत्याएं रुक जाएगी।
देश के अंदर हर जगह हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे जिसे खत्म करना लॉर्ड माउंटबेटेन के लिए भी चुनौती बना हुआ था।
20 फरवरी 1947 को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त होने वाले माउंटबेटेन ने कहा था कि जहां कहीं भी औपनिवेशिक शासन का अंत हुआ है वहां हत्याएं और दंगे हुए हैं। इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। माउंटबेटेन की जानकारी के आधार पर ब्रिटेन ने जल्द स्वतंत्र करने का फैसला किया था।
इसे देखते हुए ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया और यह 15 दिनों के अंदर पारित हो गया। जिसमें लिखा था कि भारत में 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन का अंत हो जाएगा। इसके अनुसार भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र देश बनने तय हुए थे।
15 अगस्त की तारीख चुने जाने पर माउंटबेटेन ने बताया था कि, 'यह तारीख मैंने गलती से बोल दी थी। जब उन्होंने पूछा कि स्वतंत्रता के लिए एक तारीख को चुनें तो मुझे अगस्त या सितंबर को चुनना था। फिर मैंने 15 अगस्त को चुना क्योंकि यह जापान के समर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।'
और पढ़ें: Independence day 2018: जंग-ए-आज़ादी में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान भी कम नहीं
इसके बाद ही ब्रिटिश संसद में भारत की स्वतंत्रता का विधेयक पेश हुआ था। हालांकि भारत को आजादी मिलने के बाद भी लॉर्ड माउंटबेटेन 10 महीने तक भारत के पहले गवर्नर जनरल रहे थे। भारत सरकार ने बाद में पहले तय की हुई तारीख 26 जनवरी को 1950 से गणतंत्र दिवस मनाने का फैसला कर लिया।
और पढ़ें: जम्मू कश्मीर आज भी बदहाल, जानें आज़ादी से पहले और बाद का पूरा इतिहास, आख़िर क्यूं है ये विवाद!
लॉर्ड माउंटबेटेन की सलाह पर ही भारत जनवरी 1948 में कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संगठन में लेकर गया। हालांकि 200 सालों तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ स्वतंत्रता पाने वाला मुल्क अब तक कश्मीर मुद्दे को नहीं सुलझा पाया है और यह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए अंग्रेजों के जाने के बाद की विरासत बना हुई है।
लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी किताब में बताया था कि उनके साथ मोहम्मद अली जिन्ना ने कई बार कश्मीर को लेकर बैठकें की। उन्होंने कहा था, 'जिन्नाह का मानना था कि भारत का कश्मीर पर अधिकार महाराजा हरि सिंह की स्वेच्छा से नही बल्कि भारत का जोर जबरदस्ती से कराया हुआ षडयंत्र है।’
Source : News Nation Bureau