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मिजोरम में शरण लिए हुए हैं म्यांमार के 733 शरणार्थी

इन लोगों ने म्यांमार में सेना से उत्पीड़न का सामना करने के बाद मिजोरम में प्रवेश किया.

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Nihar Saxena
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Myanmar Refugee

अधिकांश पुलिसकर्मी और उनके परिजन.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

म्यांमार (Myanmar) में हालिया सैन्य तख्तापलट (Coup) के बाद, पुलिसकर्मियों सहित कुल 733 लोगों ने वहां से भागकर भारत (India) के मिजोरम में शरण ली है और वह राज्य भर की विभिन्न जगहों पर अवैध रूप से रह रहे हैं. इन लोगों ने म्यांमार में सेना से उत्पीड़न का सामना करने के बाद मिजोरम में प्रवेश किया. शीर्ष सूत्रों ने कहा कि मिजोरम (Mizoram) के विभिन्न शिविरों में रह रहे कुल 642 म्यांमार नागरिकों की पहचान की गई है. इसके साथ ही खुफिया एजेंसियां अन्य 91 शरणार्थियों की नई आमद की पहचान करने की कोशिश कर रही हैं. इन्हें एजेंसियों द्वारा 'अपुष्ट' श्रेणी में रखा गया है. लोगों की हालिया आमद या जत्था 18 मार्च से 20 मार्च के बीच भागकर भारत आया है.

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बसे ज्यादा शरणार्थी चंपई में

एक खुफिया एजेंसी की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक शरणार्थी चंपई जिले में रह रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 324 चिन्हित शरणार्थी चंपई जिले में ठहरे हुए हैं और 91 व्यक्तियों का एक नया जत्था, जिनका अब तक कोई रिकॉर्ड नहीं है, वे भी इसी जिले में रह रहे हैं. चंपई के बाद सीमावर्ती जिले सियाहा में कुल 144 शरणार्थी रह रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार 83 लोग हेंथिअल में, 55 लॉन्गतालाई में, 15 सेर्चिप में, 14 आइजोल में, तीन सैटुएल में और दो-दो नागरिक कोलासिब और लुंगलेई में रह रहे हैं.

अधिकांश शरणार्थी पुलिसकर्मी और उनके परिवार

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अधिकांश शरणार्थी पुलिसकर्मी और उनके परिवार हैं और कुछ सेना के जवान भी हैं, जिन्होंने म्यांमार में सैन्य शासन का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया था. वे सीमाओं के पास सामुदायिक हॉल में रह रहे हैं, जबकि कुछ अन्य ने सीमावर्ती क्षेत्रों से दूर अपनी जान-पहचान वाले लोगों और रिश्तेदारों के पास आश्रय लिया है. भारत और म्यांमार 1,643 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं और दोनों ओर के लोगों की जातीय संबद्धता के कारण पारिवारिक संबंध भी हैं.

तीन राज्यों से हैं सीमा साझा

मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड भी ऐसे भारतीय राज्य हैं, जो म्यांमार के साथ सीमाएं साझा करते हैं, लेकिन तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश से भारत आई आमद मिजोरम तक सीमित हो गई है, जो म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. इन लोगों की आमद राज्य में एक संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि सीमाओं के दोनों ओर के लोगों में जातीय संबद्धता है. केंद्र और मिजोरम सरकार म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां से आए शरणार्थियों की आमद पर आपस में भिड़ गई हैं.

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केंद्र और राज्य में शरणार्थियों पर ठनी

मिजोरम सरकार ने म्यांमार में राजनीतिक विकास के सिलसिले में शरणार्थियों और प्रवासियों की सुविधा के लिए द्वार खोल दिए हैं और इस बारे में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है. शरणार्थियों के लिए मिजोरम सरकार की ओर से एसओपी जारी किए जाने के बाद केंद्र ने राज्य को तुरंत इसे रद्द करने का निर्देश दिया है. इसके बाद मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा है कि म्यांमार से अवैध आव्रजन को रोकने के लिए केंद्र का आदेश स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें मानवीय आधार पर शरण देने का आग्रह किया है.

HIGHLIGHTS

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  • तख्तापलट बाद 733 म्यांमार लोगों ने मिजोरम में शरण ली
  • अधिकांश शरणार्थी पुलिसकर्मी और उनके परिजन
  • तीन राज्यों की म्यांमार से है साझा सीमा
म्यांमार भारत शरणार्थी INDIA Myanmar refugee Coup मिजोरम mizoram तख्तापलट PM Narendra Modi
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