अगर आप भी बिजली की बचत के लिए अपने घरों में एलईडी बल्ब का इस्तेमाल करते है तो सावधान हो जाइये, क्यूंकि बाजार में उपलब्ध एलईडी बल्ब के 76 फीसद ब्रांड उपभोक्ता सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते पाए गए हैं।
बाजार शोध कंपनी नील्सन की एक स्टडी के अनुसार, एलईडी बल्ब बनाने वाले 76 फीसदी ब्रांड और एलईडी डाउनलाइटर्स बनाने वाले 71 फीसदी ब्रांड सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं।
नीलसन ने अपनी स्टडी में नई दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हैदराबाद में बिजली के सामान की खुदरा बिक्री करने वाली 200 दुकानों को शामिल किया।
बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) ने ये मानक तैयार किए हैं। 'इलेक्ट्रिक लैंप एंड कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन' (एलकोमा) के मुताबिक नई दिल्ली में बीआईएस मानकों के सबसे ज्यादा उल्लंघन के मामले सामने आए हैं।
एलकोमा की तरफ से कहा गया, 'ये नकली प्रोडक्ट उपभोक्ताओं के लिए गंभीर रूप से खतरनाक हैं। इसके अलावा इनके कारोबार से सरकार को टैक्स का नुकसान भी हो रहा है क्योंकि इनकी मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री गैर-कानूनी तरीके से हो रही है।'
देश के प्रमुख बाजारों में कराए गए सर्वे में पाया गया है कि एलईडी बल्ब के 48 फीसद ब्रांडों के प्रोडक्ट पर उसे बनाने वाली कंपनी के पते का जिक्र नहीं है। 31 फीसद ब्रांड में उसे तैयार करने वाली कंपनी का नाम नहीं है। जाहिर है, इनकी मैन्युफैक्चरिंग गैर-कानूनी तरीके से हो रही है।
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एलकोमा के मुताबिक देश में एलईडी का कुल बाजार तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये का है। सभी तरह के कामकाजी जगह, दफ्तर और घरों में ब़़डे पैमाने पर एलईडी बल्ब इस्तेमाल होते हैं। पूरे बाजार में इनकी हिस्सेदारी लगभग 50 फीसद है।
फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के उपाध्यक्ष एवं एमडी सुमीत जोशी ने कहा, 'एलकोमा की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 में एलईडी लाइटिंग का भारतीय बाजार महज 500 करोड़ रुपये का था, जो फिलहाल 10 हजार करोड़ रुपये का हो गया है।यह 22 हजार करोड़ रुपये की पूरी लाइटिंग इंडस्ट्री का 45 फीसद से ज्यादा है। इसे देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह नकली और गैर-ब्रांडेड प्रोडक्ट के खिलाफ कार्रवाई करे।'
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Source : News Nation Bureau