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इंदिरा गांधी को बचाने के लिए चढ़ाया गया था 80 बोतल खून, पढ़ें आखिरी पलों की कहानी

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की आज यानी 31 अक्टूबर को पुण्यतिथि है. 31 अक्टूबर 1984 को आयरन लेडी इंदिरा इस दुनिया को अलविदा कह गई. देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में अब तक सारी बातें लोगों के सामने आ चुकी है.

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nitu pandey
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इंदिरा गांधी को बचाने के लिए चढ़ाया गया था 80 बोतल खून, पढ़ें आखिरी पलों की कहानी

इंदिरा गांधी( Photo Credit : फाइल फोटो)

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की आज यानी 31 अक्टूबर को पुण्यतिथि है. 31 अक्टूबर 1984 को आयरन लेडी इंदिरा (Indira) इस दुनिया को अलविदा कह गईं. देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में अब तक सारी बातें लोगों के सामने आ चुकी है. लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं जिसे आज भी बहुत ही कम लोग जान पाए हैं. सुरक्षा में तैनात बेअंत सिंह की रिवॉल्वर से निकली गोली से इंदिरा गांधी की मौत हुई, हर कोई इस बात को जानता है, लेकिन गोली लगने और इंदिरा गांधी द्वारा अंतिम सांस लेने के बीच क्या कुछ हुआ उसके बारे में बेहद ही कम लोगों पता है. 

सुरक्षा में तैनात बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने इंदिरा गांधी को कई गोली मारी थी. इंदिरा गांधी के शरीर के कई हिस्सों को बेअंत सिंह की रिवॉल्वर से और सतवंत सिंह की टॉमसन ऑटोमैटिक कारबाइन से निकली गोली छेद कर रख दी थी. इंदिरा को 30 गोली लगी थी. इंदिरा गांधी को बचाने के लिए तुरंत मौके पर मौजूद आरके धवन और सुरक्षाकर्मी दिनेश भट्ट ने सफेद एंबेसडर कार की पिछली सीट पर उन्हें रखा, तभी सोनिया गांधी चिल्लाती हुई वहां पहुंची और कार के पिछली सीट पर बैठ गई और इंदिरा के सिर को अपनी गोद में रख लिया. कार 9.32 बजे एम्स पहुंची.

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इंदिरा गांधी की हालत देखकर वहां मौजूद डॉक्टर घबरा गए. सूचना मिलने पर एम्स के वरिष्ठ कार्डियॉलॉजिस्ट डॉक्टर गुलेरिया, डॉक्टर एमएम कपूर और डॉक्टर एस बालाराम पहुंच गए. इंदिरा गांधी का पल्स जब चेक किया गया तो धड़कन नहीं मिल रही थी. उनकी आंखों की पुतलियां फैली हुई थी, जो संकेत था कि उनके दिमाग को नुकसान पहुंचा है. डॉक्टर्स को लगा कि वो इस दुनिया में नहीं रही, इसके बावजूद उन्हें बचाने की पूरी कोशिश में वो लोग जुट गए. 

डॉक्टर्स की कई टीम इंदिरा गांधी को बचाने के लिए जी जान से जुट गए, एक डॉक्टर ने उनके मुंह के जरिए उनकी सांस की नली में एक ट्यूब डाला, ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंच सके और दिमाग को जिंदा रखा जा सके. एम्स में अफरा-तफरी का माहौल था. इंदिरा गांधी को खून चढ़ाया गया. वो भी एक बोतल-दो बोतल नहीं, बल्कि 80 बोतल खून चढ़ाया गया जो उनके शरीर की समान्य खून मात्रा का 5 गुना था. एम्स में इंदिरा के रक्त ग्रुप ओ आरएच निगेटिव का पर्याप्त स्टॉक था. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. इंदिरा गांधी इस दुनिया से जा चुकी थी.

इंदिरा गांधी का इलाज कर रहे डॉक्टर गुलेरिया की मानें तो जब इंदिरा गांधी को एम्स लाया गया तो उन्हें देखते ही पता चल गया था कि वो अब नहीं रही. उसके बाद हमने इसकी पुष्टि के लिए ईसीजी किया. इसके बाद भी इंदिरा गांधी की मौत की सूचना सार्वजनिक नहीं की गई. इंदिरा गांधी को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. डॉक्टर्स ने उनके शरीर को हार्ट एंड लंग मशीन से जोड़ दिया जो उनके खून को साफ करने लगी. 

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डॉक्टरों ने उनके शरीर को हार्ट एंड लंग मशीन से जोड़ दिया जो उनके रक्त को साफ़ करने का काम करने लगी और जिसकी वजह से उनके रक्त का तापमान सामान्य 37 डिग्री से घटकर 31 डिग्री हो गया. ये साफ़ था कि इंदिरा इस दुनिया से जा चुकी थीं लेकिन तब भी उन्हें एम्स की आठवीं मंज़िल स्थित ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. ताकि सोचने का वक्त मिल सके.

 

इंदिरा गांधी के शरीर के कई हिस्सों में गोली लगी थी. लीवर के दाहिने हिस्से को गोली ने छलनी कर दिया था. बड़ी आंत में कम से कम 12 छेद हुए थे. छोटी आंत को भी बहुत नुकसान पहुंचा था. फेफड़े में भी गोली लगी थी. रीढ़ की हड्डी में गोली लगने से वो टूट गई थी. इंदिरा गांधी का सिर्फ दिल सही सलामत था. इतनी गोली लगने के बाद इंदिरा का बचना नामुमकिन था. बेअंत सिंह और सतवंत सिंह द्वारा गोली मारे जाने के करीब 4 घंटे बाद इंदिरा गांधी को मृत घोषित किया गया.

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आज इंदिरा गांधी हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी जीवन के हर पल की यादें हमारे बीच मौजूद है. इंदिरा गांधी के वो लाइन आज भी हमारे जेहन में गूंजते हैं, जब उन्होंने कहा था, 'यदि मैं इस देश की सेवा करते हुए मर भी जाऊं तो मुझे इसका गर्व होगा. मेरे खून की हर एक बूंद इस देश की तरक्की में और इसे मजबूत और गतिशील बनाने में योगदान देगी.'

Indira gandhi AIIMS indira
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