सावन के महीने में इस समय हर तरफ सड़कों पर कांवरियों की लंबी कतारें और बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं। शहर हो या फिर गांव, हर तरफ पूरा माहौल शिवमय हुआ है अधिकतर लोग इस सावन में अपने नजदीकी पवित्र नदी से जल लेकर भगवान शिव को चढ़ाने के लिए कांवर लेकर के चल रहे हैं। हर किसी की भगवान शिव से जुड़ी हुई आस्था की अपनी अपनी कहानी है लेकिन आस्था की इन्हीं हजारों कहानियों में से एक अलग कहानी है बिहार के रहने वाले परशुराम शर्मा की। 83 साल के परशुराम शर्मा बिहार के नालंदा के रहने वाले हैं और भगवान भोलेनाथ के अनन्य भक्त हैं। भरा पूरा और खुशहाल परिवार होने के बावजूद शिव नाम की लगन परशुराम शर्मा को ऐसी लगी कि उन्होंने इस बार अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए कुछ अनूठा उपाय खोज डाला। 83 साल की उम्र में जब व्यक्ति बमुश्किल चल पाता है इस उम्र में अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए परशुराम शर्मा ने गंगोत्री से गंगा जी को लाकर देवघर धाम के बाबा वैद्यनाथ के शिवलिंग पर चढ़ाने का संकल्प लिया और 3 मई को गंगोत्री से अपने कांवड़ में जल भरकर निकल पड़े पैदल ही बम भोले के दरबार के लिए।
परशुराम शर्मा ने हाथ से खींचने वाले ठेले को विश्व शांति रथ का नाम दिया है और इसी ठेले पर कांवड़ में गंगोत्री की गंगा जी और भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग दोनों विराजमान है। हर रोज परशुराम शर्मा 50 से 55 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते हैं और रास्ते में जहां कहीं कोई मंदिर मिल जाता है वहीं पर रुक कर विश्राम और भोजन करते हैं। अगर कहीं पर भोजन नहीं मिला तो इसे भगवान के लिये उपवास मानकर वह अपने सफर को आगे बढ़ा लेते हैं। गंगोत्री से देवघर धाम की दूरी लगभग 1750 किलोमीटर से अधिक है जिसमें लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी परशुराम शर्मा ने पैदल ही तय कर ली है और इस समय गोरखपुर पहुंचे हैं। इनको पूरा विश्वास है कि सावन के इस महीने के अंतिम सोमवार को वह गंगोत्री से लाए गंगा जी से भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे और अपने आराध्य को प्रसन्न करेंगे।
परशुराम शर्मा उम्र के चौथे पड़ाव में भी बेहद उत्साहित और आत्मविश्वास से भरपूर नजर आते हैं। इनका कहना है कि भगवान शिव की भक्ति की ही शक्ति है कि अब तक इन्हें इस यात्रा में ना तो कोई थकान हुई और ना ही शिव कृपा से कोई दिक्कत हुई। शिवभक्त परशुराम शर्मा का कहना है कि अगर मन में अपने आराध्य के लिए सच्ची लगन हो तो दूरी और उम्र कोई मायने नहीं रखते और भक्त का भगवान से जो जुड़ाव होता है वह तमाम कठिनाइयों पर भारी होता है। गंगोत्री से देवघर की यात्रा पर निकले परशुराम शर्मा से बाद की संवाददाता दीपक श्रीवास्तव ने
Source : Deepak Shrivastava