भारत और चीन के सैन्य कमांडर पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अगले हफ्ते आठवीं बार वार्ता करेंगे. इससे पहले हुई सभी चरणों की वार्ता बेनतीजा समाप्त हो गई थी और एलएसी के पास से पीछे हटने के कोई संकेत नहीं मिले थे, जबकि सर्दियां आ चुकी हैं. इससे पहले 12 अक्टूबर को सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों की चुसूल में बैठक हुई थी, जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी.
बैठक के बाद, भारतीय सेना ने एक बयान जारी किया था और कहा था कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर में एलएसी के पास आमने-सामने की स्थिति पर गहन, गंभीर और रचनात्मक विचार साझा किए. दोनों पक्ष इस बात से सहमत हैं कि यह वार्ता सकारात्मक, रचनात्मक और एक-दूसरे के पक्ष के प्रति समझ बढ़ाने के लिए थी. आपको बता दें इसके पहले शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और अमन-चैन गंभीर रूप से बाधित हुए हैं और जाहिर तौर पर इससे भारत तथा चीन के बीच संपूर्ण रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं.
पूर्वी लद्दाख में दोनों ओर से 50 हजार सैनिकों की तैनाती
जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पांच महीने से अधिक समय से सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में ये बयान दिये जहां प्रत्येक पक्ष ने 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है. जयशंकर ने अपनी पुस्तक ‘द इंडिया वे : स्ट्रटेजीस फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ पर आयोजित वेबिनार में पिछले तीन दशकों में दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच संबंधों के विकास के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में कहा कि चीन-भारत सीमा का सवाल बहुत जटिल और कठिन विषय है.
बहुत मुश्किल दौर में है भारत और चीन संबंधः एस जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के संबंध बहुत मुश्किल दौर में हैं जो 1980 के दशक के अंत से व्यापार, यात्रा, पर्यटन तथा सीमा पर शांति के आधार पर सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से सामान्य रहे हैं. जयशंकर ने कहा, हमारा यह रुख नहीं है कि हमें सीमा के सवाल का हल निकालना चाहिए. हम समझते हैं कि यह बहुत जटिल और कठिन विषय है. विभिन्न स्तरों पर कई बातचीत हुई हैं. किसी संबंध के लिए यह बहुत उच्च लकीर है. उन्होंने कहा, मैं और अधिक मौलिक रेखा की बात कर रहा हूं और वह है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में एलएसी पर अमन-चैन रहना चाहिए और 1980 के दशक के आखिर से यह स्थिति रही भी है.
Source : News Nation Bureau