उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) बिना चुनाव लड़े महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन वह अभी तक विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं बने हैं. कोरोना वायरस ने उनकी इस राह को और मुश्किल कर दिया था, क्योंकि इस महामारी के कारण राज्य में होने वाले एमएलसी चुनाव टाल दिए गए. मगर अब उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर संकट के बादल छंटते नजर आ रहे हैं. उन्हें राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाया जाएगा.
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महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने बताया, 'आज कैबिनेट ने राज्यपाल द्वारा अनुशंसित 2 खाली एमएलसी पदों में से एक पद के लिए सीएम उद्धव ठाकरे के नाम की सिफारिश करने का निर्णय लिया है. नवाब मलिक ने बताया कि चूंकि कोविड-19 (COVID19) के कारण MLC चुनाव नहीं हो सकते, इसलिए संवैधानिक संकट से बचने के लिए यह किया जा रहा है.
नियम के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को विधायक दल का नेता चुना जा सकता है, चाहे वह विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य हो या नहीं. हालांकि इस पद पर रहने के लिए उसे 6 महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद (जिन राज्यों में है) का सदस्य होना अनिवार्य होता है. जबकि उद्धव ठाकरे के लिए समय सीमा इसी महीने खत्म हो रही है.
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बता दें कि शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे वर्तमान में किसी भी सदन के नेता नहीं हैं. उन्होंने महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. ऐसे में उनके लिए पद ग्रहण करने के छह महीने के भीतर विधानसभा या फिर विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी है. गौरतलब है कि बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद उद्धव ठाकरे ने अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई और पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था.
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