केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देश में हंगामा मचा हुआ है. एक तरह किसान इन कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं तो दूसरी तरह राजनीतिक दल लगातार सरकार को निशाना बना रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर पिछले करीब 14 दिन से हजारों की संख्या में किसानों का हुजूम दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले बैठा. किसानों के आंदोलन को राजनीतिक दल पूरा समर्थन दे रहे हैं. इसी कड़ी में विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल आज कृषि कानूनों के मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेगा.
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माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी के मुकाबिक, विपक्षी दलों की ओर से 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के एक प्रतिनिधि, भाकपा के महासचिव डी राजा और येचुरी शामिल होंगे. येचुरी ने कहा कि हम पांचों लोग राष्ट्रपति से भेंट करने से पहले बैठक करेंगे और अपनी रणनीति तय करेंगे.
उन्होंने कहा कि हमने सभी विपक्षी नेताओं से बात की है और अगले कदम को लेकर फैसला किया है. कोविड-19 की स्थिति के कारण प्रतिनिधिमंडल में पांच सदस्य ही होंगे, हालांकि हम कोशिश करेंगे कि कुछ और नेताओं को इसमें शामिल होने दिया जाए. ऐसी स्थिति में हमें नेताओं को दिल्ली बुलाना होगा क्योंकि वे अपने संबंधित राज्यों में हैं.
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एनसीपी नेता शरद पवार ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने के पहले (कृषि कानूनों का विरोध करने वाले) विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता बैठक कर चर्चा करेंगे और सामूहिक रुख अपनाएंगे. उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक से इनकार किया गया क्योंकि अधिकतर नेता दिल्ली में नहीं हैं.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था. सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी. हालांकि किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से एमएसपी खत्म हो जाएगा.