तालिबान के सत्ता अफगानिस्तान में सत्ता अधिग्रहण के बाद तालिबान दुनिया से अलग-थलग पड़ा है. रूस, चीन और पाकिस्तान लगातार विश्व शक्तिओं से अपील कर रहे हैं कि तालिबान सरकार को मान्यता दें. लेकिन अभी तक किसी देश ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है. जिसके कारण वैश्विक संस्थाएं अफगानिस्तान को मदद नहीं कर पा रही है. अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार बनने के बाद भी विश्व के किसी देश के साथ उसका राजनीतिक और राजनयिक संबंध स्थापित नहीं हो सका है. अफगानिस्तान का संकट बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अफगानिस्तान के मुद्दे पर रूस, चीन और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक बुलाई गयी है.
बताया जा रहा है कि बैठक दिल्ली में होगी. इसके लिए नवंबर में 10 और 11 तारीखों का प्रस्ताव रखा गया है. इस बैठक में अफगानिस्तान के सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा होगी. यह बैठक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होगी.
भारत ने नवंबर में दिल्ली में अफगानिस्तान पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA)की बैठक की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा है. बताया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के NSA को भी इस बैठक के लिए न्योता भेजा है. इतना ही नहीं पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में रूस, चीन जैसे प्रमुख हितधारकों को भी आमंत्रण भेजा गया है.
इससे पहले जून में ताजिकिस्तान में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की मीटिंग हुई थी. इस दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तानी एनएसए मोईद यूसुफ आमने सामने आए थे. हालांकि, दोनों के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी. एससीओ की मीटिंग में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया था. इतना ही नहीं डोभाल ने पाकिस्तान में पनपे लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए एक्शन प्लान भी प्रस्तावित किया.
भारत अफगानिस्तान के मुद्दे पर लगातार एक्टिव है. यही वजह है कि हाल में अजित डोभाल ने रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से मुलाकात की थी. दोनों के बीच अफगानिस्तान को लेकर चर्चा हुई थी. इससे पहले डोभाल ने अमेरिकी NSA जैक सुवेलियन से भी इस मुद्दे पर बात की थी.