विनोद राय ने सूचना को सनसनीखेज बनाकर अपना निजी एजेंडा थोपा: ए राजा

यूपीए-2 को सत्ता से हटाने के लिए राजनीतिक साजिश रची गई और इसके लिए विनोद राय के कंधे पर बंदूक रखकर चलाई गई।

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
विनोद राय ने सूचना को सनसनीखेज बनाकर अपना निजी एजेंडा थोपा: ए राजा

ए राजा, पूर्व दूरसंचार मंत्री

Advertisment

पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा का मानना है कि विनोद राय ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के पद की गरिमा व शुचिता से 'गंभीर समझौता' किया था।

राजा का कहना है कि 2010 के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले के लेखा परीक्षण में उन्होंने अपने संवैधानिक कार्य की सीमा को जरूरत से ज्यादा बढ़ा दिया था जिसके पीछे 'यकीनन राय का कुछ परोक्ष मकसद रहा होगा।' 

राजा को तथाकथित 2जी घोटाला मामले में अदालत ने हाल में बरी किया है।

राजा ने अपनी किताब '2जी सागा अनफोल्ड्स' में लिखा है, 'विनोद राय ने सूचना को सनसनीखेज बनाकर और प्रक्रियात्मक कमियों और वित्तीय अनियमितताओं का दृश्य पैदा कर अपना निजी (या किसी से प्रभावित) एजेंडा थोपा। उनके अनुमानित 1.76 लाख करोड़ रुपये के घाटे का भंडाफोड़ हुआ लेकिन यह लोगों के जेहन में बस गया और इसने मुझे संकट में डाल दिया।'

यह किताब दिसंबर में सीबीआई अदालत द्वारा राजा को बरी करने के फैसले से बहुत पहले ही पूरी हो चुकी थी।

इस किताब में राजा ने अपना पक्ष रखते हुए बताया है कि कैसे स्पेक्ट्रम आवंटन के फैसले में उन्होंने नियमों का पालन किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत सभी संबद्ध लोगों को प्रक्रिया की जानकारियां दीं।

अमेरिका, इजरायल और भारत का गठजोड़ मुस्लिम दुनिया के लिए बड़ा खतरा: पाकिस्तान

उन्होंने लिखा है कि उस समय काफी दुख हुआ था जब सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने 'गलत कहानियों और मीडिया की सनसनीखेज रिपोर्टिग की वजह से' 2007 में 122, 2जी लाइसेंस रद्द कर दिए थे। 

उन्हें मनमोहन सिंह और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री पी चिदंबरम से भी शिकायत है, जो तब 'चुप' रहे जब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) और सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्ष को सुनने से 'इनकार' कर दिया था।

उन्होंने 10 मई 2017 को पूरी हुई 222 पृष्ठों की किताब की प्रस्तावना में लिखा, 'मैंने अपने खिलाफ दायर आपराधिक मामलों में अदालत से किसी तरह की दया की मांग नहीं की थी लेकिन मैं कानून के नियमों के क्रियान्वयन के तरीके से विचलित हूं।'

और पढ़ें: भारत ने लिया शहादत का बदला तो बौखलाया पाक, उप उच्चायुक्त को किया तलब

उन्होंने कहा कि 2जी लाइसेंसों को जारी करने के समय से ही उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि उनके खिलाफ जो गलत प्रोपेगेंडा हो रहा है और उनकी तरफ संदेह के जो तीर छोड़े जा रहे हैं उनका आधार गलत जानकारी और स्थिति को न समझ पाना है। 

उन्होंने कहा, '(तत्कालीन) कैग विनोद राय ने खुद को अच्छे इरादों वाला दिखाया लेकिन अपने पद का इस्तेमाल परोक्ष उद्देश्यों और निष्पक्षता के अभाव के साथ किया।'

कैग रिपोर्ट के जारी होने के बाद ए राजा को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-2 सरकार में दूरसंचार मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

राजा ने विनोद राय की किताब 'नेशन्स कांशियंस कीपर' का उल्लेख कर कहा कि सरकार के महालेखाकार के रूप में वह सूत्रधार थे, जिन्होंने एक कपटपूर्ण मायाजाल रचा, जिसका मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने अनुसरण किया।

और पढ़ें: 'पद्मावत': करणी सेना ने उगला जहर, सरकार बोली-कानूनी राय लेंगे

विनोद राय ने अपनी इस किताब में 2जी घोटाले के बारे में विस्तार से लिखा है।

ए राजा कहते हैं, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश का सर्वोच्च न्यायालय तक इसका शिकार हो गया।'

राजा ने कहा कि वह सुनवाई के दौरान राय को एक गवाह के तौर पर बुलाना चाहते थे लेकिन सीबीआई ने पक्ष रखते हुए कहा कि उसने कैग रिपोर्ट को अपनी जांच के आधार के तौर पर नहीं लिया है।

वह लिखतें हैं, "जो भी हो, वे यह तथ्य नहीं छिपा सकते कि सीबीआई के आरोपपत्र में केवल कैग रिपोर्ट में उठाई गई 'अनियमितताओं' को ही शामिल किया गया। स्पष्ट तौर पर राय को सीबीआई ने गवाह के तौर पर बुलाए जाने से बचा लिया, जिनके बयान अदालत में जिरह के दौरान टिक नहीं सकते थे।"

अपने इस्तीफे के अध्याय में उन्होंने लिखा कि जब 2जी मामले को दो भागों में बांटा गया तो सरकार की मंशा स्पष्ट थी। एक को अपनी ढाल बनाना और एक को एक ऐसी तलवार की तरह इस्तेमाल करना जिसका इस्तेमाल सीबीआई उनके खिलाफ करे।

और पढ़ें: परमाणु क्षमता से लैस अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण

राजा ने इस बारे में भी लिखा है कि वह इन आरोपों की जांच के लिए जेपीसी के पक्ष में थे लेकिन चिदंबरम इसके विरोध में थे।

वह कहते हैं, '2जी मामले पर चिदंबरम का रुख मेरे लिए अभी भी पहेली है। वह एक मजबूत प्रशासक हैं, एक योग्य वकील और अनुभवी नेता हैं लेकिन मैं उन्हें अपने साथ 2जी मुद्दे पर चर्चा से बचते देख हैरान था। यहां तक कि जब हम हवाईअड्डे पर एक दूसरे से करीब से निकले तो भी वह मुझसे बात करने से बच रहे थे।'

वह कहते हैं, 'एक शिकायत जो मुझे है, वह यह है कि उन्होंने जेपीसी के विचार का समर्थन नहीं किया और परिणामस्वरूप सर्वोच्च न्यायालय, अगर मैं सबसे अच्छे तरीके से कहूं तो पीठ ने मेरे और सरकार के खिलाफ भावुक तीखे उद्गार जताए। उन्हें मुझे बचाने या मेरा समर्थन करने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं थी लेकिन उन्हें एक अच्छी सरकार की मदद करनी चाहिए थी, जिसकी छवि तार-तार की जा रही थी।'

राजा का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस में अपने कैबिनेट सहयोगियों से सुना कि चिदंबरम को लगता था कि यह एक बड़ा घोटाला हो सकता है और उनकी (राजा) गिरफ्तारी सर्वोच्च न्यायालय के गुस्से को कम करने और प्रधानमंत्री की आलोचना से बचने के लिए अस्थाई तौर पर जरूरी थी।

26/11 सर्वाइवर मोशे से इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने मुंबई नरीमन हाउस में की मुलाक़ात

उन्होंने कहा, 'यह सुनी सुनाई बात है, संभवत: एक झूठी चर्चा। लेकिन, चिदंबरम की चुप्पी और उनका मुझे नजरअंदाज करना, मुझे सचेत कर रहा था कि आगे क्या हो सकता है। मुझे ऐसा लगा कि मुझे जेल भेजने का फैसला सरकार की छवि को बचाने के लिए लिया गया। मैं जेल के लिए खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार कर रहा था। मैं शाकाहारी बन गया और दिन में दो बार व्यायाम करना शुरू कर दिया।'

राजा किताब के अंतिम अध्याय में अपनी बहस को समेटते हुए लिखते हैं कि उन्हें यह लगता है कि कैग की शुचिता की उसके तत्कालीन प्रमुख विनोद राय ने गंभीर अवहेलना की थी।

वह कहते हैं, 'इस पूरी सुनवाई पर यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि यूपीए-2 को सत्ता से हटाने के लिए राजनीतिक साजिश रची गई और इसके लिए विनोद राय के कंधे पर बंदूक रखकर चलाई गई। यह दुख की बात है कि इतनी सारी खुफिया एजेंसियों और प्रख्यात कानूनी विशेषज्ञों के बावजूद यूपीए-2 सरकार इस साजिश को महसूस नहीं कर सकी और मुझे सिर्फ एक ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया गया।'

फिल्म 'पद्मावत': SC के फैसले पर करणी सेना ने उगला जहर, राजस्थान सरकार बोली- कानूनी राय लेंगे

Source : IANS

Sunil Mittal Vinod Rai 2G Scam UPA 2
Advertisment
Advertisment
Advertisment