अगस्ता वेस्टलैंड मनी लांड्रिंग मामले में बिजनेसमैन रतुल पुरी को मिली जमानत

अगस्ता वेस्टलैंड मनी लांड्रिंग मामले में बिजनेसमैन रतुल पुरी को मिली जमानत

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Ravindra Singh
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हेलीकाप्टर घोटाला : रतुल पुरी की जमानत रद्द करने पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

रतुल पुरी( Photo Credit : फाइल)

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मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे और बिजनेसमैन रतुल पुरी को अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हैलीकॉप्टर घोटाले में राहत मिली है. दिल्ली के एक स्पेशल कोर्ट ने उनकी जमानत स्वीकार कर ली है. आयकर विभाग ने जुलाई में की गई छापेमारी के दौरान उनके घर से 254 करोड़ रुपये मूल्य के ‘बेनामी शेयर’ जब्त किए थे. उन्हें यह शेयर कथित तौर पर अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले के एक संदिग्ध से फर्जी कंपनी के माध्यम से प्राप्त हुए. आपको बता दें कि रतुल पुरी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे और हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन हैं.

रतुल पहले से कर अपवंचना और धन शोधन के आरोपों में कर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में थे. उस समय अधिकारियों ने बताया था कि बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम अधिनियम की धारा 24(3) के तहत विभाग के दिल्ली स्थित कार्यालय ने इन शेयर या ‘गैर-संचयी अनिवार्य तौर पर परिवर्तनीय प्राथमिकता शेयर’ (सीसीपीएस) को जब्त करने का अस्थायी आदेश जारी किया था. 

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इसके पहले 22 नवंबर को सुनवाई के दौरान व्यावसायी रतुल पुरी ने दिल्ली की अदालत से कहा कि अगर उन्हें वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में जमानत दे दी गई तो वह देश छोड़कर कहीं भागेंगे नहीं. पुरी ने अपने लिए जमानत की मांग करते हुए अदालत से कहा था कि इस संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए मामले में वह आरोपी नहीं हैं और प्रवर्तन निदेशालय ने उसी प्राथमिकी के आधार पर मौजूदा मामला दर्ज किया है, ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए.

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इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रतुल पुरी के खिलाफ मोजरबियर धोखाधड़ी मामले में आरोपपत्र दाखिल किया है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश संजय गर्ग के समक्ष आरोप पत्र दायर किया गया जिसमें ने व्यवसायी रतुल पुरी और मोजरबियर फर्म का नाम है. मामले में भारी भरकम कागजी कार्रवाई का संज्ञान लेने के बाद न्यायाधीश ने दस्तावेजों की जांच के आदेश दिए थे.  पुरी ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर दस्तावेजों को जेल में ले जाने और अदालत में पेश किए जाने पर उन्हें साथ लाने की अनुमति मांगी. इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. 

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