आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग को खाप पंचायत करार दिया और नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से संबंधों को लेकर सवाल उठाए।
आप प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि रावत के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई भाजपा नेताओं के साथ नजदीकी संबंध होने के आरोपों के बाद उन्होंने अयोग्य करार दिए गए 20 आप विधायकों के लाभ के पद मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
चड्ढा ने कहा कि छह महीने पहले आप को या इसके विधायकों को जानकारी दिए बगैर रावत फिर से मामले का हिस्सा बन गए।
उन्होंने कहा, 'भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि एक निर्णायक, जिसने मामले से खुद को अलग कर लिया हो, वह पिछले दरवाजे से उस मामले में वापस आ गया।'
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को 20 आप विधायकों की अयोग्यता की सिफारिश की थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी।
चड्ढा ने कहा, 'निर्वाचन आयोग एक खाप पंचायत की तरह काम कर रहा है और बिना सुनवाई (दूसरे पक्ष) के फैसले दे रहा है।'
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आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि 23 जून, 2017 के बाद विधायकों को सुनवाई की तारीख नहीं दी गई।
संजय सिंह ने कहा कि पंजाब, हरियाणा व दूसरे राज्यों में जब उच्च न्यायालय ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया तो विधायकों को अयोग्य करार नहीं दिया गया था।
संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इशारे पर तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त ए.के. जोति ने आप के खिलाफ यक कार्रवाई की।
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Source : IANS