बिहार की राजधानी पटना में आज यानी 23 जून को हुई विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राजद, आम आदमी पार्टी, शिवसेना और एनसीपी समेत कई दलों के नेताओं ने भाग लिया. बैठक में सभी नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही. इस बीच एक उम्मीदवार के सामने एक उम्मीदवार को खड़ा करने की बात पर भी विचार किया गया. आम आदमी पार्टी की ओर से पहुंचे पार्टी संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है.
गैर बीजेपी शासित राज्यों के अधिकार भी खतरे में
आम आदमी पार्टी ने कहा कि अगर इस अध्यादेश को चुनौती नहीं दी गई तो गैर बीजेपी शासित राज्यों के अधिकार भी खतरे में पड़ सकते हैं. जिसका परिणाम यह होगा कि जनता की चुनी हुई सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है. इसलिए राज्यसभा से इस अध्यादेश को पास न होने दिया जाए. पटना बैठक में शामिल 15 पार्टियों में से 12 ने अध्यादेश के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की बात कही है, जबकि इस मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है. इन पार्टियों ने कहा कि वो राज्य सभा में इस अध्यादेश का विरोध करेंगे. आप तरफ से कहा कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के साथ एक राष्ट्रीय दल भी है, ऐसे में उसकी तरफ से अभी तक अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया गया है.
अध्यादेश देश की न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान
आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया कि केंद्र द्वारा लाया गया अध्यादेश देश की न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान है. क्योंकि अध्यादेश के माध्यम में से सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने का काम किया गया है.
Source : News Nation Bureau