रोहित वेमुला की आत्महत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए बनाई गई एक सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार रोहित आत्महत्या के लिए खुद जिम्मेदार था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए.के. रूपनवाल ने अपनी 41 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि रोहित की माँ राधिका वेमुला दलित नहीं थी और आरक्षण का फायदा उठाने के लिए उन्होंने खुद को दलित बताया। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय से रोहित का निकाला जाना सबसे तार्किक और उचित कदम था।
रिपोर्ट आगे बताती है कि तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री बंदारू दत्तात्रेय की ओर से कोई दबाव नहीं डाला गया था और ये दोनों अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे थे।
आपको बता दें कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला ने इसी साल 17 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद कई विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन शुरू हो गया था और केंद्र सरकार रक्षात्मक मुद्रा में आ गयी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रोहित वेमुला का ज़िक्र करते हुए कहा था कि वो माँ भारती के लाल थे।
रूपनवाल ने यह रिपोर्ट अगस्त में ही जमा कर दी थी। इस रिपोर्ट के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के 50 से अधिक शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारियों से बात की और निष्कर्ष दिया है कि रोहित तरह का दबाव नहीं डाला गया था और आत्महत्या का निर्णय खुद उनका अपना था। 12 पन्नों के निष्कर्ष में 4 पन्नों में जाति का ज़िक्र विस्तार से किया गया है और कहा गया है कि रोहित की माँ का 'माला समुदाय', जो कि दलितों में आते हैं, से होना ‘असंभाव्य और अविश्वसनीय’ है।
Source : News Nation Bureau