Aditya L1 Launch: भारत का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 आज श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लांच हो गया है. यह पहला मौका है, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य पर शोध के लिए अपना मिशन भेजा है. इसरो चंद्रयान-3 की सफलता के बाद बेहद उत्साहित है. उसे इस मिशन में बड़ी कामयाबी दिखाई दे रही है. इस मिशन से सूरज से जुड़े कई मिथ से पर्दा उठने की संभावना है. आइए जानते हैं कि इस मिशन का उद्देश्य क्या है, इससे जुड़े कुछ सवाल आम जनता के मन अभी भी कुलबुला रहे हैं. आइए हम आपको सभी सवालों के उत्तर देने का प्रयास करते हैं.
1.सूर्य मिशन किस लिए भेजा जा रहा?
इस मिशन को चंद्रयान मिशन से जोड़कर देखा जा सकता है. जिस तरह चांद पर शोध के लिए चंद्रयान भेजा गया. उसकी तरह सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को सूरज पर स्टडी को लेकर भेजा जा रहा है. इस मिशन के जरिए सूरज के रहस्यों को जानने का प्रयास किया जाएगा.
Indian Space Research Organisation (ISRO) launches solar mission, #AdityaL1 from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota pic.twitter.com/n980WYkbRk
— ANI (@ANI) September 2, 2023
2.सूरज से कितनी दूर रहेगा ये मिशन?
आप सभी जानते हैं कि सूरज की तपिश की वजह से इस मिशन को सूरज पर नहीं उतारा जा सकता है. सूरज बेहद गर्म होता है. इसरो केवल सूरज की कक्षा में एक सेटेलाइट को भेज रहा है. इसका काम सूर्य के वातावरण पर शोध करना है.
3. आदित्य एल-1 नाम किस लिए रखा?
इसरो के अनुसार, सूरज का संस्कृत में नाम आदित्य होता है. ऐसे में मिशन के नाम में आदित्य शब्द को शामिल किया गया है. वहीं, एल-1 नाम सूरज की कक्षा से जुड़ा है. सूरज के लैग्रेंज प्वाइंट-1 की कक्षा में शामिल होकर सूर्य मिशन अपने सेटेलाइट के जरिए चक्कर लगाने वाला है. ऐसे में एल-1 नाम को इससे जोड़ा गया.
4. सूर्य मिशन का उद्देश्य क्या है?
इसरो अपने सूर्य मिशन के माध्यम से सूरज की गतिशीलता पर शोध करेगा. यह मिशन सूरज पर होने वाली गतिविधियों से जुड़ा डेटा प्रदान करेगा. इन-सीटू पार्टिकल और प्लाज्मा वातावरण पर शोध होगा. तापमान प्रक्रिया, सौर तूफान की उत्पत्ति, कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट पर जांच करेगा.
5. कितने साल तक काम करेगा?
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के अनुसार, एक सेटेलाइट की औसत उम्र पांच साल होती है. मगर ये लंबे समय तक काम कर सकता है. आदित्य एल-1 का पेलोड वीईएलसी पांच वर्ष तक पृथ्वी पर भारत के स्पेस सेंटर को सूरज की तस्वीरों को भेजेगा.
6. सूरज से कितनी दूरी होगी?
इसरो के अनुसार, मिशन पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर पर होगा. इसे पहुंचने में करीब चार माह का समय लगेगा. वह अगले पांच साल तक यहां पर शोध करने वाला है.
7. कब मिलने लगेगी सूर्य की जानकारी?
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के अनुसार, जनवरी के मध्य में आदित्य एल-1 उपग्रह को सूरज की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा. फरवरी के अंत तक इसरो को नियमित डेटा देना शुरू कर देगा.
8. अब तक सूर्य पर कितने मिशन भेजे जा चुके?
अब तक सूर्य के शोध के लिए दुनिया भर के देशों ने मिलकर कुल 22 मिशन भेजे गए हैं. सबसे अधिक मिशन अमेरिका ने भेजे हैं. यह 14 मिशन हैं. इस मामले में अमेरिका का नासा सबसे आगे है.
9. एक दिन में रोजाना कितनी तस्वीरें भेजेगा?
आदित्य एल-1 परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे प्रति मिनट एक तस्वीर ली जाएगी. हर दिन 24 घंटों के दौरान मिशन लगभग 1,440 तस्वीरें भेजने वाला है.
10. किन उपकरणों का आदित्य एल-1 करेगा उपयोग?
आपको बता दें कि इसरो का आदित्य L1 मिशन सौर ऊर्जा से संचालित होगा. पेलोड (उपकरण) के जरिए वह फ़ोटोस्फ़ेयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की बाहरी परतो (कोरोना) का अध्ययन करने वाला है.
Source : News Nation Bureau