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Aditya L1: इन वैज्ञानिकों ने निभाई आदित्य-एल1 लॉन्चिंग में अहम भूमिका, कई मिशन को दिला चुके हैं सफलता

Aditya-L1 Mission Launch: इसरो ने अपना पहला सोलर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च कर दिया. इस मिशन को पूरा करने में इसरो के कई वैज्ञानिकों ने अपनी भूमिकाएं निभाई हैं. जिसमें डॉ. शंकर सुब्रमण्यम का नाम प्रमुखता से लिया जाता है.

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Suhel Khan
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Aditya L1 Mission

Aditya-L1( Photo Credit : ISRO)

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Aditya-L1 Mission Launch: इसरो ने आज (शनिवार) अपना पहला सोलर मिशन लॉन्च कर दिया. सुबह 11.50 बजे इसरो ने इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च कर दिया. इस मिशन को पीएसएलवी सी57 (PSLV C57) रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया. सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए जा रहा है आदित्य-एल1 को सूर्य के एल-1 पाइंट पर पहुंचने में 125 दिन का वक्त लगेगा. भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन की कमान डॉ. शंकर सुब्रमण्यम के हाथ में थी. बता दें कि मिशन के अध्यक्ष डॉक्टर सुब्रमण्यम वर्तमान में इसरो के वरिष्ठतम वैज्ञानिकों में से एक हैं.

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ये कोई पहली बार नहीं है जब डॉ. सुब्रमण्यम ने किसी मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में भूमिका निभाई हो. इससे पहले भी वह कई बड़े मिशन को सफल बनाने में अपना योगदान दे चुके हैं. डॉ. शंकर सुब्रमण्यम ने बेंगलुरु में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में सौर अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल की है. उन्होंने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के माध्यम से बैंगलोर विश्वविद्यालय से फिजिक्स में पीएचडी की है. उन्होंने सोलर मैग्नेटिक क्षेत्र में प्रकाशिकी और इंस्ट्रुमेंटेशन जैसे क्षेत्रों पर अपना शोधकार्य पूरा किया है.

इसरो के कई मिशनों को सफल बना चुके हैं डॉ. सुब्रमण्यम

डॉ. सुब्रमण्यम इससे पहले इसरो के कई मिशन को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं. उन्होंने इसरो के एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 समेत कई अहम मिशन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वर्तमान में वह वह यूआरएससी में स्पेस एस्ट्रोनॉमी ग्रुप (SAG) का नेतृत्व कर रहे हैं. इस समूह के पास इसरो के आगामी मिशनों जैसे आदित्य-एल1, एक्सपीओसैट और चंद्रयान-3 के इग्नीशन मॉड्यूल के लिए वैज्ञानिक उपकरण बनाने की जिम्मेदारी है.

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जानिए क्या है सोलर मिशन आदित्य-एल1

बता दें कि इसरो का आदित्य-एल1 पहला सूर्य मिशन है. इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सूर्य पर कोई मिशन नहीं भेजा है. इसरो के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 का मकसद सूर्य की बाहरी परत में उष्मा के कारणों का पता लगाना है. इस उपग्रह को सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु पर तैनात किया जाएगा. जो पृथ्वी से 15 लाख किसी दूर है. इसरो के मुताबिक, इस मिशन से सौर गतिविधियों को लगातार देखने में अधिक मदद मिलेगी. इसरो का कहना है कि क्योंकि सूर्य सबसे निकटतम तारा है इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका विस्तार से अध्ययन किया जा सकेगा. यही नहीं इसके बारे में जानने से अन्य आकाश गंगाओं के समान तारों के बारे में जानकारी मिल सकती है.

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कैसे सूर्य के एल-1 पाइंट तक पहुंचेगा आदित्य-एल1

बता दें कि इसरो का सूर्य मिशन आदित्य-एल1 उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसके बाद इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा. उसके बाद इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल कर अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1’ की ओर भेजा जाएगा. इसके ‘एल1’ की ओर बढ़ते ही ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा. इसके बाद इसका क्रूज चरण शुरू हो जाएगा. उसके बाद ये एक बड़ी प्रभामंडल वाली कक्षा में स्थापित हो जाएगा. जहां तक पहुंचने में इसे 125 दिन लगेंगे.

HIGHLIGHTS

  • इसरो के आदित्य-एल1 की सफल लॉन्चिंग
  • इन वैज्ञानिकों ने जताई लॉन्चिंग में अहम भूमिका
  • 125 दिन में सूर्य के एल1 पाइंट पर पहुंचेगा 

Source : News Nation Bureau

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