Delhi Security Dialogue on Afghanistan : अफगानिस्तान में मुद्दे (Security Dialogue on Afghanistan) पर दिल्ली में होने वाली एनएसए स्तर की उच्चस्तरीय बैठक में पहले पाकिस्तान (Pakistan) ने और उसके बाद चीन (China) ने भी आने से मना कर दिया. अंतर सिर्फ इतना है कि पाकिस्तान ने इस बैठक का बहिष्कार किया तो वही सूत्रों के मुताबिक चीन सीपीसी की बैठक के कारण हिस्सा नहीं ले रहा है. हालांकि, चीन की तरफ से ये भरोसा दिया गया है कि अफगानिस्तान के मसले पर चीन भारत के साथ संपर्क और बातचीत कायम रखेगा.
बैठक का एजेंडा और स्वरूप
दिल्ली में 10 तारीख को अफगानिस्तान कर मसले पर होने वाली इस बैठक को दिल्ली रीजनल सिक्योरिटी डायलाग नाम दिया गया है. इस दौरान एनएसए अजीत डोवाल साझीदार देशों के एनएसए के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे. प्लेनरी सेशन सुबह के दौरान रखा गया है. इसके बाद सभी देशों के एनएसए पीएम मोदी के साथ मुलाकात करेंगे. इसके बाद एनएसए स्तर की द्विपक्षीय बातचीत होगी.
बैठक के ये 5 महत्वपूर्ण विषय
- आतंकवाद को सर्वोपरी रखा गया है चाहे वह अफगानिस्तान के भीतर हो या सीमावर्ती इलाकों में.
- दूसरा मुद्दा एक्सट्रेमिज्म और रेडिक्लाइजेशन है.
- तीसरा क्रॉस बॉर्डर मूवमेंट और रिफ्यूजी संकट का है.
- चौथा ड्रग ट्रैफिकिंग और पांचवा उन हथियारों के दुरुपयोग का जिसे अमेरिका ने भारी पैमाने पर अफगानिस्तान में छोड़ दिया है.
- इसके अलावा अफगनिस्तान के लोगों तक मानवीय सहायता कैसे पहुचाई जाए इस पर मंथन होगा साथ ही सुरक्षा के एक आधारभूत ढांचे को विकसीत करने पर साझी रणनीति बनाई जा सकती है.
बैठक का इतिहास
भारत सहित इस बैठक में 8 देश शिरक़त कर रहें हैं, जिनमें रूस, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान शामिल हैं.
मध्य एशियाई इन सभी देशों की अफगानिस्तान और तालिबान को लेकर साझी चिंताएं हैं. साथ ही ये सभी देश कमोवेश इस बात से सहमत है कि मौजूदा अफगानिस्तान संकट और तालिबान रिटर्न्स के पीछे पाकिस्तान की अहम भूमिका है. यह पहली बार नहीं है जब इस बैठक से पाकिस्तान ने खुद को अलग रखा है. अफगानिस्तान को लेकर इस तरह की पहली बैठक 2018 में हुई थी, तब इस मंच पर अफगानिस्तान, भारत, चीन, ईरान और रूस सहित 5 देश थे और पहली बैठक ईरान में हुई थी. 2018 में भी पाकिस्तान को बैठक में आने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन ईरान को पाकिस्तान ने जवाब दिया था कि भारत की मौजूदगी में वह हिस्सा नहीं लेगा.
2019 में इस बैठक के साथ तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जुड़े और 7 देशों की यह बैठक हुई, जिससे पाकिस्तान ने खुद को अलग रखा.
इस बैठक की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान की सीमा से लगने वाले ये सभी देश भारत की भूमिका को अफगानिस्तान में अहम मानते हैं और इनमें से किसी भी देश ने तालिबान की मौजूदा सरकार को मान्यता नहीं दी है. वहीं, अफगानिस्तान को लेकर भारत ने ग्लोबल मंच पर अपने पक्ष को हमेशा से स्पष्ठ रखा है और तालिबान की वापसी के बाद पैदा हुए संकट के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है चाहे वह मंच ब्रिक्स का हो, एससीओ का हो या फिर जी 20 का.
Source : Madhurendra Kumar